कैश ऑन डिलिवरी पर एक्स्ट्रा चार्ज लेना अब पड़ेगा महंगा, सरकार जल्द ले सकती है बड़ा एक्शन

मंत्रालय का कहना है कि कई ग्राहक सीओडी पर लगे वाली फीस से बचने के लिए पहले पेमेंट कर देते हैं. Amazon जहां COD के लिए 7 से 10 रुपये चार्ज करता है वहीं फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राई 10 रुपये अतिरिक्त लेते हैं. 

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ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की तैयारी में सरकार
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  • सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कैश ऑन डिलीवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायतों की जांच कर रही है
  • उपभोक्ता मामले मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इसे डार्क पैटर्न बताते हुए ग्राहकों के शोषण को लेकर चिंता जताई है
  • अमेज़न, फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राई जैसी कंपनियां सीओडी के लिए सात से दस रुपये तक अतिरिक्त फीस लेती हैं
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नई दिल्ली:

जो ई-कॉमर्स कंपनियां कैश ऑन डिलीवरी (COD) पर ग्राहकों से अतिरिक्त फीस लेती हैं, उनके खिलाफ अब सरकार कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. सरकार इस बात का पता भी लगा रही हैं कि क्या ये ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को पहले पेमेंट करने के लिए मजबूर कर रही हैं. और अगर प्रीपेड ऑर्डर कैंसल हो जाएं तो रिफंड में देरी कर रही हैं. ई-कॉमर्स कंपनियों की इस मनमानी के बीच उपभोक्ता मामले के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि हमने इसकी जांच शुरू कर दी है. सरकार इसे एक डार्क पैटर्न मानती है, जो ग्राहकों को गुमराह और शोषण करता है. ये नहीं चलेगा. 

COD के लिए चार्ज की जा रही है इतनी फीस

आपको बता दें कि ग्राहकों ने ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ सरकार को जो शिकायतें मिली हैं उममें बताया गया है कि ये कंपनियां जबरन उनसे कैश ऑन डिलीवरी के लिए अतिरिक्त फीस मांग रही हैं. ग्राहकों की इन शिकायतों पर मंत्रालय ने ग्राहकों से नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के जरिए अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए भी कहा है. मंत्रालय का कहना है कि कई ग्राहक सीओडी पर लगने वाली फीस से बचने के लिए पहले पेमेंट कर देते हैं. Amazon जहां COD के लिए 7 से 10 रुपये चार्ज करता है वहीं फ्लिपकार्ट और फर्स्टक्राई 10 रुपये अतिरिक्त लेते हैं. 

केंद्रीय मंत्री ने किया सोशल मीडिया पोस्ट 

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ग्राहकों की इस समस्या को लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट भी किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा कैश-ऑन-डिलीवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायतें मिली हैं. इस प्रथा को एक डार्क पैटर्न माना गया है जो उपभोक्ताओं को गुमराह करता है और उनका शोषण करता है.

एक विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है और इन प्लेटफॉर्म्स की बारीकी से जाँच करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. भारत के बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और निष्पक्ष व्यवहार को बनाए रखने के लिए उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. 

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