अगर पसंद नहीं तो... रूस से तेल को लेकर ट्रंप के टैरिफ पर जयशंकर का अमेरिका को बड़ा संदेश

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते के लिए कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन असफल रही है. कई मुद्दों पर असहमति बनी है और अब यह बातचीत एक मुश्किल दौर में पहुंच गई है.

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  • अमेरिका के ट्रंप के टैरिफ लागू होने से पहले भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में असहमति बनी हुई है.
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के साथ जारी ट्रेड टॉक्‍स में कुछ रेड लाइन यानी 'सीमा रेखाएं' हैं.
  • भारत ने जीएम खाद्य फसलों के आयात को स्वास्थ्य और पर्यावरण के कारण प्रतिबंधित रखा है और इसे स्वीकार नहीं करेगा.
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नई दिल्‍ली:

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच कुछ उम्‍मीदें ट्रेड डील से लगी हैं. ट्रंप का टैरिफ 27 अगस्‍त से लागू हो जाएगा. उससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के साथ जारी ट्रेड टॉक्‍स में कुछ रेड लाइन यानी 'सीमा रेखाएं' हैं. जयशंकर ने द्विपक्षीय व्यापार के कई पहलुओं को लेकर अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच इस बात का जिक्र किया है. इसके साथ ही उन्‍होंने साफ कहा है 'अगर आपको पसंद नहीं तो मत खरीदिए.' जयशंकर ने रूस से तेल आयात पर ट्रंप और यूरोप को खरी-खरी सुनाई है.  यह बात भी गौर करने वाली है कि भारत ने ट्रंप को किसी तरह की कोई भी रियायत देने से साफ इनकार कर दिया हे. 

अभी नहीं निकला स्‍थायी नतीजा 

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते के लिए कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन असफल रही है. कई मुद्दों पर असहमति बनी है और अब यह बातचीत एक मुश्किल दौर में पहुंच गई है. इसके साथ ही ट्रंप की तरफ से भारत पर रूस से तेल खरीदने के मसले पर भारत पर टैरिफ को बढ़ाकर 50 फीसदी तक दिया गया है. जयशंकर ने भरोसा दिलाया है कि बातचीत अभी भी जारी है और इसका कोई स्थायी नतीजा नहीं निकला है. 

अमेरिका बना रहा दबाव 

ईटी वर्ल्ड लीडर्स फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'बातचीत अभी भी जारी है. मुख्य बात यह है कि हमारे सामने कुछ सीमा रेखाएं हैं. बातचीत अभी भी इस मायने में जारी है कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है. लोग एक-दूसरे से बात करते हैं.' उन्होंने बताया कि ये रेड लाइंस ऐसे पहलू हैं जिन पर सरकार समझौता करने को तैयार नहीं है. अमेरिका ट्रेड डील में भारत पर अमेरिकी डेयरी, पोल्ट्री और मक्का, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, फल और मेवों जैसे कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने का दबाव बना रहा है. भारत ने इससे इनकार कर दिया है. भारत सरकार का कहना है कि एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के कारण, भारत मक्का, सोयाबीन, गेहूं और डेयरी उत्पादों के लिए अपने बाजारों तक पहुंच देना स्‍वीकार नहीं है. 

भारत क्‍यों कर रहा विरोध 

अमेरिका के साथ ट्रेड टॉक में भारत के विरोध का मुख्य कारण यह है कि अमेरिका में ज्‍यादातर जीन एडिटेड मक्का और सोयाबीन उगाया जाता है. भारत जीएम खाद्य फसलों के आयात की अनुमति नहीं देता है और उन्हें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक मानता है. भारत के लिए डेयरी एक और बेहद संवेदनशील क्षेत्र है जो देश के लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है. कई छोटे और भूमिहीन किसान इस क्षेत्र पर निर्भर हैं. ऐसे में डेयरी उन्हें अनियमित मॉनसून या फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद करती है. अमेरिकी पक्ष को एक साफ संदेश देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया है कि देश किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा.  

यूरोप, अमेरिका को जमकर सुनाया 

जयशंकर ने शनिवार को रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्‍होंने इस कदम को 'अनुचित और अविवेकपूर्ण' बताया है. उन्‍होंने कहा, 'जब लोग कहते हैं कि हम युद्ध को फंड कर रहे हैं और पैसा लगा रहे हैं, तो उन्‍हें बता दूं कि रूस-यूरोपियन व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं बड़ा है. तो क्या यूरोप का पैसा खजाने में नहीं जा रहा है?' 

उन्‍होंने कहा, 'अगर तर्क ऊर्जा का है, तो वे (यूरोपियन यूनिय) बड़ा खरीदार हैं. अगर तर्क यह है कि कौन बड़ा व्यापारी है, तो वे हमसे बड़े हैं. रूस को भारत का निर्यात बढ़ा है, लेकिन उतना नहीं.' जयशंकर ने भारत की ओर से रूस के कच्‍चे तेल और रिफाइंड के निरंतर आयात की आलोचना पर भी निशाना साधा. जयशंकर ने कहा, 'यह हास्यास्पद है कि व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं. अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें. कोई आपको उसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको वह पसंद नहीं है, तो उसे न खरीदें.'  

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