Explainer: चुनाव से ठीक पहले मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को क्यों कह दिया अलविदा?

कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ सीट-बंटवारे को लेकर तनाव की स्थिति में है, मिलिंद देवड़ा के पार्टी से बाहर जाने से उसे तगड़ा झटका लगा है.

विज्ञापन
Read Time: 22 mins
सूत्रों का कहना है कि मिलिंद देवड़ा ने "बहुत लंबे और निरर्थक इंतजार" के बाद कांग्रेस छोड़ दी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

लंबे समय से चल रही राजनीतिक खींचतान के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) ने आखिरकार कांग्रेस (Congress) छोड़ दी. वे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल हो गए. उनके इस्तीफे की घोषणा उस दिन हुई जिस दिन पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले समर्थन जुटाने के लिए पूर्वोत्तर से 6,200 किलोमीटर की यात्रा शुरू की है.

मिलिंद देवड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह "विकास के पथ" का समर्थन करना चाहते थे. हालांकि ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते उन्हें उस पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला लेना पड़ा, जिससे उनका परिवार 55 सालों से जुड़ा था.

सूत्रों ने मिलिंद देवड़ा और महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के बीच बढ़ते मनमुटाव को उनके इस्तीफे के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण बताया. ऐसा लगता है कि पार्टी में आंतरिक असहमति की स्थिति ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए प्रेरित किया. उनका यह फैसला महाराष्ट्र में पार्टी की चुनावी रणनीति को नया आकार दे सकता है.

कांग्रेस की बदकिस्मती के बीच देवड़ा का जाना पार्टी नेतृत्व के निचले स्तर के साथ गांधी परिवार के अलगाव और उनकी दुर्लभता को भी उजागर करता है. यह पार्ची के युवा नेता स्वीकार नही कर पा रहे हैं.

कांग्रेस के दिग्गज नेता मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा ने 2004 और 2009 में मुंबई दक्षिण सीट जीती थी. वे 2014 और 2019 के चुनावों में शिवसेना के अरविंद सावंत से हार गए थे. यहां तक कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र को वापस जीतने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पांच साल पहले लोकसभा चुनाव अभियान के बीच में मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया था.

मिलिंद देवड़ा ने हाल ही में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा शिवसेना (यूबीटी) द्वारा मुंबई दक्षिण सीट पर दावा करने पर नाराजगी जताई थी. वे चाहते थे कि पिछले दो चुनावों में सावंत से हार के बावजूद यह सीट कांग्रेस के पास बनी रहे.

Advertisement

पार्टी बदलने के बाद देवड़ा कथित तौर पर बीजेपी और शिवसेना समर्थकों के संयुक्त वोट शेयर के साथ मुंबई दक्षिण में जीत हासिल करने को लेकर आशान्वित हैं. सूत्र बताते हैं कि अगर बीजेपी यह सीट जीतने में सफल होती है, तो देवड़ा को राज्यसभा सीट की पेशकश की जा सकती है.

बड़े कारोबारियों के साथ देवड़ा के संबंधों के कारण उन्हें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का भी समर्थन मिला. केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देवड़ा आर्थिक मुद्दों पर एक उदार आवाज थे और व्यापार और दिल्ली के राजनीतिक हलकों में उनके घनिष्ठ संबंध थे.

Advertisement

मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में मराठी और मुस्लिम मतदाताओं का एक अच्छा मिश्रण है. इस पर बीजेपी के राहुल नार्वेकर और मंगल प्रभात लोढ़ा की भी नजर है.

कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ सीट-बंटवारे में खींचतान को लेकर तनाव की स्थिति में है. इसी बीच देवड़ा के बाहर जाने से उसे भारी झटका लगा है. इस साल होने वाले आम चुनावों से पहले पार्टी राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत जैसी शर्मनाक स्थितियों से बचने की कोशिश कर रही है.

कांग्रेस ने दावा किया है कि देवड़ा के पार्टी छोड़ने का समय बीजेपी द्वारा 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' को पटरी से उतारने के लिए तय किया गया था. मिलिंद देवड़ा "सिर्फ एक कठपुतली" हैं.

Advertisement

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "उन्होंने (देवड़ा) कहा कि उन्हें चिंता है कि यह मौजूदा शिवसेना की सीट है. वह राहुल गांधी से मिलना चाहते थे और उन्हें सीट के बारे में बताना चाहते थे और यह भी चाहते थे कि मैं इस बारे में गांधी से बात करूं. जाहिर तौर पर यह सब एक दिखावा था. उन्होंने जाने का मन बना लिया था. उनके जाने की घोषणा का समय स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किया गया था.'' 

Featured Video Of The Day
Varanasi: पिता-पुत्र को गोली मार कर लूट लिए गहने | BREAKING NEWS | UP NEWS
Topics mentioned in this article