Explainer : विपक्ष के महाजुटान में हाथ मिले, दिल नहीं! जानें- विपक्षी दल कितने पास, कितने दूर?

पटना में भले ही विपक्षी दलों के बीच साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति बनी हो लेकिन हकीकत यह है कि राज्‍यों में विपक्षी दलों का यह गठबंधन ज्‍यादा कारगर नहीं दिख रहा है.

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राज्‍यों में विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

नई दिल्‍ली:

पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक फिर मिलने के वादे के साथ खत्‍म हो गई. बैठक में चुनाव साथ लड़ने का फैसला हुआ, बावजूद इसके विपक्षी दलों के बीच आपसी मतभेद बरकरार हैं. दिल्‍ली अध्‍यादेश के विरोध के बड़े मुद्दे पर इस बैठक में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस नेताओं में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई. वहीं अधिरंजन चौधरी कह रहे हैं कि ममता बनर्जी चाहे दिल्‍ली जाएं या पटना पश्चिम बंगाल कांग्रेस उनका विरोध करती रहेगी. ऐसे में विपक्षी दलों की पटना में आयोजित बैठक में विपक्षी एकता के लिए नेताओं के हाथ जरूर मिले, लेकिन दिलों का मिलना अभी दूर की कौड़ी नजर आता है. 

विपक्ष के महाजुटान में सहमति बनी है कि जो विपक्षी दल आज की बैठक में थे वो साथ बने रहेंगे. साथ ही बैठक में मौजूद सभी पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी और अगली बैठक कांग्रेस शासित राज्‍य में होगी. बैठक में 16 दल शामिल हुए, लेकिन बाद में 15 दल ही साथ आए. अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नहीं आए और उनकी पार्टी ने अलग ही राग अलापा. 

आम आदमी पार्टी की ओर से बैठक में कहा गया कि कांग्रेस दिल्‍ली अध्‍यादेश को लेकर अपना रुख साफ करे. पार्टी की ओर से यहां तक कह दिया गया कि अगर कांग्रेस अपना रुख साफ नहीं करती है तो कांग्रेस के साथ किसी भी बैठक में आगे आम आदमी पार्टी किसी भी बैठक में हिस्‍सा नहीं लेगी. वहीं कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे ने इस बैठक से पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं के बयानों को लेकर आज की इस बैठक में आपत्ति जताई. बैठक में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. 

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राज्‍यों में कारगर होगा गठबंधन!
पटना में भले ही विपक्षी दलों के बीच साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति बनी हो लेकिन हकीकत यह है कि राज्‍यों में विपक्षी दलों का यह गठबंधन ज्‍यादा कारगर नहीं दिख रहा है. आज की बैठक में जो 16 दल साथ आए हैं, इनमें से ज्‍यादातर पहले ही साथ में हैं. बिहार में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां साथ में हैं. यूपी की बात करें तो वहां पर समाजवादी पार्टी और आरएलडी पहले से ही साथ में हैं. हालांकि कांग्रेस से गठबंधन पर सवालिया निशान है, क्‍योंकि इसे लेकर अखिलेश यादव कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. वहीं झारखंड में जेएमएम, जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी सरकार में है. महाराष्‍ट्र की बात करें तो उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास अघाड़ी के नाम से हाल ही में सरकार चलाई थी और अब भी तीनों पार्टियां साथ में है. जम्‍मू कश्‍मीर में उमर अब्‍दुल्‍ला और महबूबा मुफ्ती की वहां पर सीम‍ित ताकत है. ऐसे में गठबंधन किस तरह से कारगर होगा, यह भी सवाल है. 

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अपनी ढपली, अपना राग 
आम आदमी पार्टी कह चुकी है कि पंजाब और दिल्‍ली में जहां पर उसकी सरकारें हैं, वहां पर वो किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी. मतभेद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच ही उभरकर सामने नहीं आए हैं, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्‍यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल नेता ममता बनर्जी को जमकर खरी खोटी सुनाई है. अ‍धीर रंजन चौधरी कहते हैं कि ममता बनर्जी चाहे दिल्‍ली जाएं या पटना, लेकिन बंगाल में उनका विरोध जारी रहेगा. वहीं ममता बनर्जी कहती हैं कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस साथ आए तो ठीक है, लेकिन वह लेफ्ट के साथ न जाए. इस तरह उन्‍होंने एक बंदिश लगा रखी है. 

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2024 में 300 से ज्‍यादा सीटों पर जीत का दावा 
वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की इस बैठक पर वार किया है. उन्‍होंने कहा कि पटना में फोटो सेशन चल रहा है, लेकिन इनकी एकता कभी संभव नहीं है और अगर एकता हो भी जाए तो भी यह जीतेंगे नहीं. गृह अमित शाह  ने कहा, "मैं सारे विपक्ष के नेताओं को कहना चाहता हूं कि कितने भी हाथ मिला लो, आपकी एकता कभी संभव नहीं है, हो भी गई तो कितने भी इकट्ठा होकर जनता के सामने आ जाइए, 2024 में 300 से ज्‍यादा सीटों के साथ नरेंद्र मोदीजी का प्रधानमंत्री बनना तय है". 

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नड्डा ने नीतीश-लालू को याद दिलाया आपातकाल 
वहीं बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को याद दिलाया कि उन्‍हें इंदिरा गांधी ने आपातकाल में जेल में डाला था. उन्‍होंने कहा, "लाल्र प्रसाद यादव पूरे 22 महीने तक जेल में रहे थे. उन्‍हें इंदिरा गांधी ने जेल में डाला था. नीतीश कुमार को 20 महीने तक जेल के सींखचों के पीछे राहुल गांधी की दादी ने डाला था. आज पटना की धरती पर राहुल को आदर सहित स्‍वागत करते हुए मैं इनकी तस्‍वीरें देख रहा हूं तो मुझे याद आता है कि राजनीति में क्‍या से क्‍या हो गया." 

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