EXCLUSIVE: सिर्फ़ 5 घंटे में तमिलनाडु गवर्नर ने क्यों बदल दिया मंत्री की बर्खास्तगी का फ़ैसला

राज्यपाल ने पांच ही घंटे में अपने फैसले को पलट दिया. उनके दूसरे खत में केंद्रीय गृहमंत्री की इस सलाह का ज़िक्र था कि विवादास्पद कदमों पर कानूनी राय लेना 'विवेकपूर्ण' होता है. इसके बाद तमिलनाडु में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, और राज्य की DMK सरकार ने इसकी कड़ी निंदा की है.

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राज्य की DMK सरकार ने गवर्नर के फैसले की कड़ी निंदा की है...
New Delhi:

तमिलनाडु के गवर्नर आर.एन. रवि ने गिरफ़्तार राज्य मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने में कानूनी सलाह लिए बिना कार्रवाई की, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद कुछ ही घंटे में अपना फैसला रोक दिया.यह जानकारी उन्हीं के दो पत्रों से हुई, जिन तक NDTV कीू एक्सक्लूसिव पहुंच बनी.

राज्यपाल ने पांच ही घंटे में अपने फैसले को पलट दिया. उनके दूसरे खत में केंद्रीय गृहमंत्री की इस सलाह का ज़िक्र था कि विवादास्पद कदमों पर कानूनी राय लेना 'विवेकपूर्ण' होता है. इसके बाद तमिलनाडु में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, और राज्य की DMK सरकार ने इसकी कड़ी निंदा की है.

गुरुवार शाम को पांच पृष्ठ से ज़्यादा के अपने पहले खत में राज्यपाल ने बताया कि वह राज्य सरकार की अनदेखी करते हुए सेंथिल बालाजी को मंत्रिपरिषद से क्यों बर्खास्त कर रहे हैं.

NDTV की पहुंच में आए खतों में गवर्नर ने कहा, "मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि सामान्य परिस्थितियों में एक राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करता है... हालांकि, इस तत्काल मामले में आपकी सलाह या अधिक उचित रूप से कहें तो मेरी सलाह के ख़िलाफ़ थिरु वी. सेंथिल बालाजी को मंत्रिमंडल में बनाए रखने का आपका आग्रह पूर्वाग्रह को दर्शाता है..."

उन्होंने कहा कि सेंथिल बालाजी को "भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें नौकरियों के लिए नकद लेना और धन शोधन शामिल है..."

"ऐसी उचित आशंकाएं हैं कि सेंथिल बालाजी के मंत्री बने रहने से कानून की जायज़ प्रक्रिया में बाधा होगी और न्याय की प्रक्रिया भी बाधित होगी... ऐसी स्थिति अंततः राज्य में संवैधानिक मशीनरी के टूटने का कारण बन सकती है... ऐसी परिस्थितियों में और संविधान के अनुच्छेद 154, 163 और 164 के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों के आधार पर मैं वी. सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करता हूं..."

पांच घंटे बाद, आधी रात से कुछ वक्त पहले, राज्यपाल ने एक पेज के दूसरे पत्र में कहा कि निर्णय रोक दिया गया है. उन्होंने लिखा, "मुझे माननीय केंद्रीय गृहमंत्री ने सलाह दी है कि अटॉर्नी जनरल की भी राय लेना समझदारी होगी... तदनुसार, मैं उनकी राय के लिए अटॉर्नी-जनरल से संपर्क कर रहा हूं... इस बीच मंत्री थिरु वी. सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी का आदेशपत्र अगले संचार तक निलंबित रखा जा सकता है...''

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सेंथिल बालाजी को 'नौकरी के बदले पैसे' के आरोप में दो हफ़्ते पहले गिरफ्तार किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बिना पोर्टफोलियो के मंत्री के रूप में उन्हें मंत्रिमंडल में बनाए रखा था.

बुधवार को चेन्नई की एक अदालत ने बालाजी की न्यायिक हिरासत को 12 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था. मंत्री के ख़िलाफ़ मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहाी है. वैसे, हिरासत में ही मंत्री की बाइपास सर्जरी भी हो चुकी है.

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राज्यपाल के इस कदम से नाराज़ मुख्यमंत्री स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी थी. उन्होंने कहा, "राज्यपाल को (किसी मौजूदा मंत्री को बर्खास्त करने का) अधिकार नहीं है और हम इसका कानूनी तौर पर सामना करेंगे..."

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