एक्सक्लूसिव: मुंबई को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति के लिए रूस की स्पूतनिक से तीन बोली मिलीं

RDIF ने ऐसे वक्त मुंबई में टीके की आपूर्ति (Covid Vaccine Supply) के लिए बोली लगाई है, जब पंजाब और दिल्ली सरकार का कहना है कि निजी कंपनियों ने उन्हें कोरोना वैक्सीन आपूर्ति के लिए इनकार कर दिया है.

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RDIF का कहना है कि वो बीएमसी को 60 दिनों के भीतर 1 करोड़ स्पूतनिक वी वैक्सीन की आपूर्ति करेगा.
नई दिल्ली:

मुंबई को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति के लिए रूस के वैज्ञानिक संस्थान आरडीआईएफ की ओर से तीन बोलियां मिली हैं. रूस ने स्पूतनिक कोविड वैक्सीन (Sputnik Covid Vaccine) तैयार की है, जिसके भारत में आपात इस्तेमाल के मंजूरी भी मिल गई है. इसका टीकाकरण भी शुरू हो गया है. RDIF ने ऐसे वक्त मुंबई में कोविड टीके की आपूर्ति के लिए बोली लगाई है, जब पंजाब और दिल्ली सरकार का कहना है कि निजी कंपनियों ने उन्हें कोरोना वैक्सीन आपूर्ति के लिए इनकार कर दिया है.

सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी है. बीएमसी (BMC) ने इसी महीने की शुरुआत में एक करोड़ डोज का ग्लोबल टेंडर जारी किया था. बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने यह टेंडर 11 मई को जारी किया था. देश की नई टीकाकरण नीति के तहत राज्य अब वैक्सीन आपूर्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं. राज्यों को सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनियों से टीके खरीदने की मंजूरी दी गई है.

बोली लगाने की आखिरी तारीख 25 मई को खत्म हो रही थी. सूत्रों का कहना है कि अब तक जो तीन बोली मिली हैं, उनमें से एक सीधे रसियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (Russian Direct Investment Fund) ने सीधे दी है. जबकि दो अन्य बोलियां कंपनियों की स्वतंत्र प्रतिनिधियों से ओर से लगाई गई हैं. 

सरकार के सूत्रों ने NDTV को बताया, आखिरी समयसीमा के बाद अगले दो हफ्तों में महाराष्ट्र सरकार के साथ वैक्सीन आपूर्ति की इन निविदा के कानूनी, तकनीकी और वित्तीय पहलू पर गौर किया जाएगा.  RDIF या उसके प्रतिनिधि 60 दिनों में एक करोड़ खुराक आपूर्ति करने को तैयार हैं. अगर वैक्सीन (Sputnik V) आपूर्ति का ये करार होता है तो यह वैक्सीन की निर्माता डा. रेड्डीज लैब (Dr Reddy's Lab) से अलग सीधा समझौता होगा.

स्पूतनिक वी वैक्सीन का विकास मास्को के गामालेया (Gamaleya ) रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपीडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने किया था. इसे 11 अगस्त 2020 को पंजीकृत कराया गया था. इसे भारत में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अभी तक हरी झंडी नहीं दी है.

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