'गांधी और गोडसे की विचारधारा का मेल नहीं हो सकता', पूर्व केंद्रीय मंत्री ने MP कांग्रेस में फूंका बिगुल

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, "देश में दो विचारधारा है- गांधी की और गोडसे की. गोडसे का मंदिर बनाकर उसकी पूजा करना और फिर गांधी की विचारधारा से मिल जाना मुझे उचित नहीं लगता." अरुण यादव ने कहा कि महात्मा गांधी और गांधी विचारधारा के हत्यारे के खिलाफ वह खामोश नहीं बैठ सकते हैं.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व एमपी कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव. (फाइल फोटो)
भोपाल:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) ने हिन्दू महासभा के पार्षद रहे बाबूलाल चौरसिया (Babulal Chaurasia) के कांग्रेस में शामिल होने पर न केवल आपत्ति जताई है बल्कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ भी बिगुल फूंक दिया है. उन्होंने कहा, "गांधी और गोडसे की विचारधारा का मिलाप कभी नहीं हो सकता." यादव ने कहा कि यह देश गांधी की विचारधारा से चलता आया है और गांधी की विचारधारा से ही सरकारें बनी है और आगे भी बनेंगी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, "देश में दो विचारधारा है- गांधी की और गोडसे की. गोडसे का मंदिर बनाकर उसकी पूजा करना और फिर गांधी की विचारधारा से मिल जाना मुझे उचित नहीं लगता." अरुण यादव ने कहा कि महात्मा गांधी और गांधी विचारधारा के हत्यारे के खिलाफ वह खामोश नहीं बैठ सकते हैं.

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उन्होंने कहा, "मैं आरआरएस विचारधारा को लेकर लाभ-हानि की चिंता किये बगैर जुबानी जंग नहीं, सड़कों पर लड़ता हूँ. मेरी आवाज कांग्रेस और गांधी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज है. जिस संघ कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं लगता है, वहां इंदौर के संघ कार्यालय (अर्चना) पर कार्यकर्ताओं के साथ जाकर मैंने तिरंगा फहराया. देश के सारे बड़े नेता कहते हैं कि देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे था. आज गोडसे की पूजा करने वाले की कांग्रेस में प्रवेश को लेकर वे सब खामोश क्यों है?"

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यादव ने आगे कहा, "यदि यही स्थिति रही तो आतंकवाद से जुड़ी भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर, जिसने गोडसे को देशभक्त बताया है, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मैं प्रज्ञा ठाकुर को जिंदगीभर माफ नही कर सकता हूँ, यदि वो भविष्य में कांग्रेस में प्रवेश करेंगी तो क्या कांग्रेस उसे स्वीकार कर लेगी?"

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उन्होंने कहा, "अपनी ही सरकार में कमलनाथ ने इन्हीं बाबूलाल चौरसिया और उनके सहयोगियों के खिलाफ ग्वालियर में गोडसे का मंदिर बनाने और पूजा करने के विरोध में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इन स्थितियों में जब संघ और पूरी भाजपा एकजुट होकर महात्मा गाधीजी, नेहरू जी और सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के चेहरे को षडयंत्रपूर्वक नई पीढ़ी के सामने भद्दा करने की कोशिश कर रही है, तब कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे सिपाही के नाते मैं चुप नहीं बैठ सकता हूँ. यह मेरा वैचारिक संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं होकर कांग्रेस पाटी की विचारधारा को समर्पित है. इसके लिए मैं हर राजनीतिक क्षति सहने को तैयार हूँ."

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