पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पर लगे कुर्सी के दुरूपयोग के आरोप, छुट्टियों पर अटका मामला, पढ़ें पूरा केस

पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को एक नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर उनके खिलाफ संबंधित कानूनों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. 1983 के बैच की आईएएस ऑफिसर लगभग सात महीने पहले अपनी सेवा से रिटायर हो चुकी हैं.

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प्रीति सूदन की 2005 और 2006 में छुट्टियों का मामला उनके रिटायर होने के बाद उठा है. (फाइल फोटो)
अमरावती:

आंध्र प्रदेश की सरकार ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को एक नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर उनके खिलाफ संबंधित कानूनों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. 1983 के बैच की आईएएस ऑफिसर लगभग सात महीने पहले अपनी सेवा से रिटायर हो चुकी हैं. उनके खिलाफ आंध्र के मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास ने नोटिस जारी किया है.

आंध्र सरकार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने All India Service (Conduct) Rules, 1968 के प्रावधानों का उल्लंघन किया था. इसमें यह भी कहा गया है कि रिटायर हो चुकीं अफसर ने 'अपने निजी लाभ के लिए तय नियम-कानूनों और प्रक्रियाओं का अपनी कुर्सी के दम पर दुरुपयोग किया.'

क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2005 और 2006 में AIS (Leave) Rules के तहत एक्सट्रॉर्डिनेरी लीव को अर्न्ड लीव/हाफ-पे लीव में बदलने का है. प्रीति सूदन ने 1 मार्च, 2005 से अगले एक साल तक के लिए एक्सट्रॉर्डिनेरी लीव डाली थी. उस वक्त वो AP State Civil Supplies Corporation की मैनेजिंग डायरेक्टर थीं. वो यूनाइटेड स्टेट्स में अपने परिवार के पास जा रही थीं.

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इसके बाद उन्होंने USA में अपना वो वक्त Development Research Unit of World Bank के साथ एक स्टडी में बिताने के लिए सरकार से अनुमति मांगी. उस वक्त उनके पति रणदीप सूदन भी USA में ही थे. वो भी 1983 के IAS बैच के ऑफिसर थे और वहां तैनात थे. प्रीति सूदन की छुट्टियों को बाद में 31 मई, 2006 तक बढ़ा दिया गया था. वो पिछले साल 31 जुलाई को सर्विस से रिटायर हुई हैं. इसके पहले उनका कार्यकाल तीन महीने बढ़ाया गया था.

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केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी ऑफिस ने उनकी एक्स्ट्रॉर्डिनेरी लीव को अर्न्ड लीव/हाफ-पे लीव (vide an Office Memorandum No. A- 19011/1/2017-Estt.I, dated February 12, 2020) में बदल दिया. इसके बाद सूदन ने 25 फरवरी, 2020 की तारीख में एक चिट्ठी लिखकर कहा कि अब कोई एक्शन पेंडिंग नहीं है इसलिए 'यह मामला यहां से भी बंद है.'

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अब आंध्र सरकार ने उठाया है यह मामला

अब आंध्र सरकार ने इस मेमोरेंडम पर सवाल उठाते हुए इसे अयोग्य बताया है और कहा है कि यह केंद्र सरकार की तत्कालीन सचिव के प्रभाव में आकर जारी किया गया है. चीफ सेक्रेटरी दास ने अपने नोटिस में कहा है, 'भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की सहमति के अनुसार, आंध्र प्रदेश की सरकार पहले से जारी छुट्टियों को बदलने के लिए सक्षम प्रधिकारी है और इस मामले पर उनके साथ बातचीत चल रही है.'

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नोटिस में आगे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओर से अपने ऑफिस के नाम पर भेजी गई एक चिट्ठी को लेकर चीफ सेक्रेटरी ने कहा है कि 'भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के पास इस चिट्ठी पर एक्शन लेने का कोई हस्तक्षेप अधिकार नहीं है.' उन्होंने आगे कहा है, 'ऐसे में उनको (सूदन को) अपना पक्ष रखने के लिए दो हफ्तों का वक्त दिया जाता है. उनको बताना होगा कि आखिर उनके खिलाफ अनुशासनात्म कार्रवाई क्यों न की जाए. अगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आता है तो यह मान लिया जाएगा कि उनके पास कोई सफाई नहीं है और उपलब्ध सामग्री के आधार पर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.'

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