पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus Scandal) विवाद में नया खुलासा सामने आया है. अक्टूबर 2018 में सीबीआई प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद तत्कालीन सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा (Alok Verma) के फोन नंबर भी पेगासस (Pegasus) की संभावित निगरानी सूची में जोड़ दिए गए थे. वेबसाइट 'द वायर' ने गुरुवार को बताया कि सीबीआई (CBI) के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा, जिन्हें सरकार के साथ विवाद के बाद 2018 में बेवजह पद से हटा दिया गय था, को बर्खास्त करने के कुछ ही घंटों बाद उनके फोन नंबर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की निगरानी लक्ष्यों की सूची में जोड़ दिए गए थे. हालांकि, नंबरों को शामिल करने का मतलब यह नहीं हो सकता कि उनका फोन पेगासस से संक्रमित था, क्योंकि इसकी पुष्टि केवल फोरेंसिक विश्लेषण के माध्यम से की जा सकती है.
Pegasus विवाद : दलाई लामा के सलाहकार भी थे इजरायली स्पाईवेयर के संभावित टारगेट - रिपोर्ट
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, केंद्रीय मंत्री और दर्जनों पत्रकार इस सप्ताह की शुरुआत में सामने आए इस घोटाले में निशाने पर पाए गए थे, जिसे विपक्ष द्वारा "वाटरगेट से बड़ा" करार दिया गया और सरकार द्वारा सख्ती से खारिज कर दिया गया.
'द वायर' उन 17 मीडिया संगठनों में शामिल है, जो इस जांच को प्रकाशित कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि पेगासस का इस्तेमाल कर मैलवेयर का उपयोग करके स्मार्टफ़ोन को या तो सफलता पूर्वक हैक किया गया या ऐसा करने का प्रयास किया गया. यह स्पाईवेयर मैसेज को निकालने, कॉल रिकॉर्ड करने और माइक्रोफ़ोन को गुप्त रूप से सक्रिय करने में सक्षम बनाता है.
'पेगासस जासूसी स्कैंडल वाटरगेट से भी बदतर' : ममता बनर्जी
पेगासस के निर्माता NSO, जिसने कहा है कि वह अपने स्पाइवेयर को केवल "सत्यापित सरकारों" को बेचता है, ने रिपोर्टों को "गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों से भरा" बताते हुए खारिज कर दिया है. NDTV ने स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग की पुष्टि नहीं की है.
जासूसी कांड पर सरकार का जवाब, पेगासस मामला फेक है