यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (EMA) को कोविड-19 के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन के प्राधिकरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) से कोई Authorisation आवेदन नहीं मिला है. यूरोपीय संघ द्वारा ईयू डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र पेश किए जाने के लगभग एक पखवाड़े बाद, जो इंट्रा-ईयू यात्रा को संभव बनाता है, ये जानकारी दी गई है.
EMA ने एक प्रेस बैठक में कहा, "यूरोपीय संघ में उपयोग के लिए COVID-19-वैक्सीन कोविशील्ड का मूल्यांकन करने के लिए, इसके उत्पादक कंपनी को EMA को एक औपचारिक विपणन प्राधिकरण आवेदन प्रस्तुत करना होगा, जो आज तक प्राप्त नहीं हुआ है."
EMA ने पहले कहा था कि विनिर्माण प्रक्रियाओं में मामूली अंतर के परिणामस्वरूप अंतिम उत्पाद में अंतर हो सकता है. लिहाजा, यूरोपीय संघ के कानून के तहत प्राधिकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उसका आंकलन करने की आवश्यकता है.
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अब तक, ईएमए ने महामारी के दौरान यूरोपीय संघ के भीतर प्रतिबंध-मुक्त यात्रा के लिए केवल चार टीकों में से किसी एक द्वारा टीकाकरण को ही मंजूरी दी है. इनमें फाइजर / बायोएनटेक की कॉमिरनेटी, मॉडर्ना की स्पाइकवैक्स, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सजेवरिया और जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन वैक्सीन शामिल है.
एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर विकसित भारत की कोविशील्ड वैक्सीन ईएमए के तहत अधिकृत टीकों में शामिल नहीं है. कोविशील्ड के लिए प्राधिकरण की कमी की वजह भारतीय यात्रियों के लिए यूरोपीय संघ में दिक्कत हो रही है. इसका मतलब है कि कोविशील्ड टीका लगवाने वाले लोगों को यूरोप के अलग-अलग देशों में क्वारंटीन किया जा सकता है. यहां तक कि कुछ देशों में ऐसे लोगों को प्रवेश करने से भी रोका जा सकता है.