तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा संसद में नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सवाल पूछने की एवज़ में व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से 2 करोड़ रुपये की नकदी सहित कई तरह की रिश्वत लेने के आरोपों की जांच कर रही एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, महुआ मोइत्रा ने तोहफ़े कबूल किए, जिनमें व्यवसायी द्वारा जुटाई गई कारों का इस्तेमाल करना शामिल है, और इसी तरह की "गंभीर गलत हरकतें..."
रिपोर्ट में कहा गया है, "गैर-क़ानूनी तोहफ़े कबूल करने के आरोप साफ़-साफ़ साबित हुए हैं, और कतई निर्विवाद हैं..." रिपोर्ट में कहा गया, "(किसी) व्यवसायी से तोहफ़े लेना, जिन्हें महुआ ने लॉग-इन (जानकारी) सौंपी थी, लेनदेन स्थापित करता है... (जो) किसी सांसद के लिए अशोभनीय है और अनैतिक आचरण है..."
एथिक्स कमेटी ने कहा, इसलिए 'सिफारिश की जाती है कि सांसद श्रीमती महुआ मोइत्रा को सत्रहवीं लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किया जाना चाहिए...' रिपोर्ट में 'श्रीमती मोइत्रा के अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण को देखते हुए... सरकार द्वारा कानूनी संस्थागत जांच...' की मांग भी की गई है.
महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ आगे की कार्रवाई की खातिर 'मनी ट्रेल' की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञता वाली जांच एजेंसियों को भेजा गया है. एथिक्स कमेटी ने 'समयबद्ध' जांच की सिफारिश की है.
लोकसभा में शुक्रवार दोपहर पेश की गई रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने की सिफ़ारिश की गई है, जिससे सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) तथा विपक्षी दलों के सांसदों के बीच विवाद शुरू हो गया. विपक्ष की मांग है कि इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.