- धार्मिक कार्यक्रम के दौरान कथावाचकों पर जाति छुपाने और छेड़खानी का आरोप लगा था
- कथावाचक मुकुट मणि और आचार्य संत सिंह पर फर्जी आधार कार्ड रखने के भी आरोप लगे
- कथावाचकों के साथ बदसलूकी और मारपीट हुई और उनकी इच्छा के विरुद्ध बाल काटे गए
इटावा के चर्चित कथावाचक मामले में कोर्ट ने दोनों कथावाचकों को अग्रिम जमानत दे दी है. बीते 21 जून को दादरपुर मे आयोजित धार्मिक कार्यक्रम के दौरान कथावाचकों पर छेड़खानी और जाति छुपाने का आरोप लगा था. इसके साथ ही उनके पास से फर्जी आधार कार्ड होने का भी आरोप लगा है. कथावाचक मामले को लेकर पूरे देश में जातीय ध्रुवीकरण और सियासी बयान बाजी भी हुई थी. कुछ दिन पहले निचली अदालत ने दोनों कथावाचकों की अंतरिम जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों कथावाचकों को अग्रिम जमानत दे दी है.
इटावा का मामला क्या है
यह घटना बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव की है, जहां 21 जून को एक भागवत कथा का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में कथावाचक मुकुट मणि और आचार्य संत सिंह कथा वाचन कर रहे थे. आयोजन के दौरान कुछ ग्रामीणों ने कथावाचकों की जाति को लेकर आपत्ति जताई. आरोप लगाया गया कि कथावाचकों ने स्वयं को ब्राह्मण बताकर कथा का आयोजन किया, जबकि वह अन्य जाति से हैं. इसी विवाद ने तूल पकड़ा और कुछ लोगों ने कथावाचकों के साथ मारपीट शुरू कर दी. इतना ही नहीं, उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके बाल भी काट दिए गए. इस अमानवीय कृत्य का वीडियो किसी ने बना लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.
वीडियो वायरल होने पर पुलिस एक्शन
वीडियो के वायरल होने के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. जिसके बाद इस मामले में पुलिस का एक्शन भी हुआ. हालांकि इस मामले ने इतनी तूल पकड़ी कि इस पर जमकर सियासत भी हुई. अखिलेश यादव से लेकर तमाम राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी.