कथावाचक मामले को ब्राह्मण बनाम यादव की जंग न बनाएं... अखिलेश से खफा संत क्या बोले?

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कथावाचक मामले में समाजवादी पार्टी का अचानक सक्रिय होना दिखाता है कि इनका इरादा यूपी को जातिवाद की आग में झोंकने का है. वहीं रामदास महाराज ने कहा कि जातिवाद ही करना है तो सारे यादव इकट्ठा होकर कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर क्यों नहीं बनवाते?

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  • कथावाचकों पर हमले के मामले को ब्राह्मण बनाम यादव के रूप में तूल दिया जा रहा है.
  • स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इसे समाजवादी पार्टी की साजिश का संकेत बताया है.
  • रामदास महाराज बोले, जातिवाद करना है तो यादव इकट्ठा होकर कृष्ण जन्मभूमि बनवाएं.
  • संत समाज ने योगी आदित्यनाथ से मामले में जांच करके कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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नई दिल्ली:

इटावा में कथावाचकों की चोटी काटने और बदसलूकी के मामले को अब ब्राह्मण बनाम यादव की तरह तूल दिया जा रहा है. इस प्रकरण पर संत समाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि समाजवादी पार्टी जिस तरह इस मामले को तूल दे रही है, वह बड़ी साजिश की तरफ इशारा करता है. वहीं अयोध्या के धर्म गुरु रामदास महाराज ने कहा कि अगर जातिवाद ही करना है तो सारे यादव इकट्ठा होकर कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर क्यों नहीं बनवाते?

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि इटावा के व्यावर में कथावाचकों को अगर जाति पूछकर मारा-पीटा गया है तो आरोपियों की गिरफ्तारी जरूर होनी चाहिए. लेकिन इसका दूसरा पहलू ये है कि कथा वाचन के रूप में एक नया व्यवसाय फल-फूल रहा है. 

उन्होंने कहा कि पहले वो सज्जन (कथावाचक) बौद्ध कथा कहते थे, बाद में भागवत की कथा करने लगे. उनमें एक यादव और दूसरा जाटव है. इनको अपना नाम छिपाने की क्या जरूरत थी? क्या इस देश ने गैर ब्राह्मण कथावाचकों को स्वीकार नहीं किया है? बड़े-बड़े संत, रैदास से लेकर कबीरदास तक, वाल्मीकि से लेकर वेद व्यास तक सभी गैर ब्राह्मण थे और उन्हें समाज ने स्वीकार किया है. 

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि इस समय सैकड़ों कथावाचक गैर ब्राह्मण हैं और मर्यादा में रहकर कथा कर रहे हैं, लेकिन ये कथावाचक मर्यादा तोड़कर और षड्यंत्र के तहत गए थे. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या जिस व्यक्ति ने इन कथावाचकों को बुलाया था, उसे पता नहीं था कि ये गैर ब्राह्मण हैं? ऐसे में निश्चित रूप से दोनों पक्ष उत्तर प्रदेश जातिगत साजिश की आग में झोंकने के लिए आमादा हैं. 

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कौशांबी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस मामले में ब्राह्मण बनाम पाल का मुद्दा बना था और दोनों पक्षों में समाजवादी पार्टी खड़ी थी. इस मामले में भी अचानक समाजवादी पार्टी का सक्रिय हो जाना दिखाता है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इनका इरादा यूपी को जातिवाद की आग में झोंकने का है. योगी आदित्यनाथ इस पूरे प्रकरण की गहन जांच कराएं. जो भी दोषी मिले, चाहे किसी भी पक्ष का हो, किसी भी जाति का हो, उसे बख्शा न जाए.

वहीं अयोध्या के धर्म गुरु रामदास महाराज ने कहा कि इटावा के प्रकरण में जातिवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. अगर जातिवाद ही करना है तो सारे यादव इकट्ठा होकर कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर क्यों नहीं बनवाते? वो लोग मंदिर बनवाएं, फिर खूब कथा करें, उत्सव मनाएं. हम अखिलेश यादव से अनुरोध करते हैं कि यदुवंशी होने के नाते यदुवंश के नाथ भगवान श्री कृष्ण के लिए तो कदम उठाएं. 

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उन्होंने आगे कहा कि कथा के लिए किसी पर रोक नहीं है. लेकिन किसी अनुष्ठान से पहले एक संकल्प किया जाता है और पुराणों में बताया गया है कि ये संकल्प किसी ब्राह्मण के द्वारा ही किया जाना चाहिए. संत रामदास ने कहा कि अगर जाना ही था तो बोलकर जाते कि मैं यादव हूं. आजकल तो यादव, कुशवाह सब समाज के लोग कथा करने लगे हैं. ये अब व्यवसाय बन गया है. 
 

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