सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की तादाद, कोविड के बाद से प्राइवेट स्कूलों में कम हो रही संख्याः रिपोर्ट

निजी स्कूलों में एडमिशन लेने वालों की संख्या घटकर 24.4% पर सिमट गई, जो 2018 में 32.5% थी.  इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह रही आर्थिक तंगी.

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सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की तादाद, कोविड के बाद से प्राइवेट स्कूलों में कम हो रही संख्याः रिपोर्ट
सरकारी स्कूलों में बढ़ रही छोत्रों की तादाद.
मुंबई:

देश में कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद कई क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. शिक्षा के क्षेत्र में भी चौंका देने वाले बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कोरोना आने के बाद से निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूल लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. दिन-प्रतिदिन सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. ASER सर्वे में पाया गया है कि सरकारी स्कूलों में दाखिले की संख्या बढ़ी है.

सर्वे में दावा किया गया है कि निजी स्कूलों में 9% दाख़िले घटे हैं. सरकारी स्कूलों में एडमिशन 7% बढ़े हैं. आइये अब आपको बताते हैं किस राज्य के सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा बच्चों का दाखिला हुआ है. इस क्रम में यूपी सबसे आगे है. यूपी में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ा है. यूपी में 13%, केरल में 11.9%, तमिलनाडु में 9.6%, राजस्थान में 9.4% और महाराष्ट्र में 9.2% दाखिले बढ़े हैं. इस सर्वे में 75000 से ज्यादा बच्चों से बात की गई. इसके पीछे 62% ने पैसों की तंगी वजह बतायी. 50% ने मुफ्त सुविधाओं के चलते सरकारी स्कूलों को चुना, तो 15% ने पलायन का उल्लेख किया.

महामारी के दौरान देश के 28 राज्यों के 7,299 स्कूलों पर कोरोना असर दिखा है. एक सर्वे रिपोर्ट बताती है की पहली बार सरकारी स्कूलों में एडमिशन 7% बढ़े हैं और निजी में 9% घटे हैं. कोरोना ने स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर बड़ा असर डाला है. देश के तीन केंद्र शासित प्रदेश और 25 राज्यों के 7,299 स्कूलों पर कोरोना का असर देखने को मिला है. पहली बार सरकारी स्कूलों में एडमिशन 7% बढ़े और निजी में 9% घटे हैं! 62% ने पैसों की तंगी को वजह बताया.

प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता का आंकलन करने वाली संस्था प्रथम करीब 16 साल से वार्षिक स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) जारी करती आ रही है. रिपोर्ट 2021 के लिए ये सर्वे सितंबर-अक्टूबर में देश के 581 ज़िलों में 75,234 बच्चों के बीच किया. जिसमें पाया गया कि पहली बार सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले 6-14 साल के बच्चों की संख्या बढ़कर 2021 में 70.3% तक पहुंच गई. 2018 में ये 64.3% थी.

वहीं, निजी स्कूलों में एडमिशन लेने वालों की संख्या घटकर 24.4% पर सिमट गई, जो 2018 में 32.5% थी.  इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह रही आर्थिक तंगी. कोविड के दौरान प्राइवेट स्कूल छोड़कर और नए दाख़िले मिलाकर देखें तो मुंबई के सिर्फ़ जी-नॉर्थ वॉर्ड में क़रीब 400 नए बच्चों ने दाखिला लिया है.

जी-नॉर्थ वॉर्ड में स्थित बीएमसी स्कूल की प्रिंसिपल उज्वला कोंडा ने कहा,''कोविड के दौरान प्राइवेट स्कूल छोड़कर कई बच्चे हमारे पास आए हैं. क्योंकि वो प्राइवेट की फ़ीस नहीं दे पा रहे थे. इन्हें ऑनलाइन क्लास नहीं करने दिया जा रहा था. तो कई बच्चे बिना स्कूल लीविंग सर्टिफ़िकेट के हमारे यहां दाखिल हुए. क़रीब 400 से ज़्यादा बच्चे हमारे 11 स्कूलों में दाखिल हुए हैं.''

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सरकारी स्कूलों में बढ़े दाख़िले को लेकर सरकारें पीठ थपथपा सकती हैं लेकिन आर्थिक हालात सुधरने के बावजूद सरकारी स्कूलों में दाख़िले का स्तर बना रहे तब ही शायद कहा जा सकता है की सरकारी स्कूलों का स्तर बेहतर हुआ है.

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