तेजी से बढ़ रही ऊर्जा आपूर्ति और खपत, भारत में रिन्यूएबल एनर्जी की अपार संभावनाएं : केंद्र

बिजली को लेकर मंत्रालय ने कहा, "ट्रांसमिशन और वितरण के कारण होने वाला नुकसान, जो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान लगभग 23 प्रतिशत था, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान घटकर लगभग 17 प्रतिशत रह गया है."

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देश में ऊर्जा आपूर्ति और खपत दोनों में हो रही बढ़ोतरी.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि देश ऊर्जा आपूर्ति और खपत (Energy supply and consumption) दोनों में स्थिर और स्वस्थ वृद्धि का अनुभव कर रहा है. इसी के साथ भारत में रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन की अपार संभावनाएं हैं, जो मार्च 2024 तक 21,09,655 मेगावाट थी.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, पवन ऊर्जा से ऊर्जा उत्पादन की क्षमता का प्रमुख हिस्सा लगभग 55 प्रतिशत 11,63,856 मेगावाट था. इसके बाद सौर ऊर्जा का 7,48,990 मेगावाट और लार्ज हाइड्रो से 1,33,410 मेगावाट हिस्सा है.

बिजली उत्पादन में शानदार वृद्धि

रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन की आधी से अधिक क्षमता चार राज्यों 20.3 प्रतिशत राजस्थान, 11.8 प्रतिशत महाराष्ट्र, 10.5 प्रतिशत गुजरात और 9.8 प्रतिशत कर्नाटक में केंद्रित है. बिजली उत्पादन में भी पिछले कुछ वर्षों में शानदार वृद्धि हुई है.
31 मार्च, 2015 तक 81,593 मेगावाट से बढ़कर यह 31 मार्च, 2024 तक 1,98,213 मेगावाट हो गया है, जो पिछले कुछ वर्षों में 10.36 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि है.

रिन्यूएबल रिसोर्सेस (उपयोगिता और गैर-उपयोगिता दोनों को मिलाकर) से बिजली का सकल उत्पादन भी पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है. आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान उत्पादित 2,05,608 गीगावॉट बिजली से यह वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बढ़कर 3,70,320 गीगावॉट हो गया है, जो पिछले कुछ वर्षों में 6.76 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि है.

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ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत में अच्छी बढ़ोतरी

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत में भी पर्याप्त वृद्धि देखी है. वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान यह 14,682 मेगा जूल/व्यक्ति से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 18,410 मेगा जूल/व्यक्ति हो गया है, जो पिछले वर्षों में 2.55 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि है. ट्रांसमिशन और वितरण के कारण होने वाले नुकसान को कम करके पिछले वर्षों में बिजली के उपयोग में सुधार हुआ है.

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मंत्रालय ने कहा, "ट्रांसमिशन और वितरण के कारण होने वाला नुकसान, जो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान लगभग 23 प्रतिशत था, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान घटकर लगभग 17 प्रतिशत रह गया है." सभी प्रमुख ऊर्जा खपत वाले क्षेत्रों में, उद्योग क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अधिकतम विस्तार देखा है. वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवा, आवासीय, कृषि और वानिकी जैसे अन्य सभी क्षेत्रों ने भी इस अवधि में लगातार वृद्धि दर्ज की है.
 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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