तेलगांना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 सहित बिजली संबंधी सुधारों को वापस लेने की अपील की, क्योंकि यह देश के लोगों के लिए हानिकारक और खतरनाक हैं. केसीआर ने आगाह किया कि यदि केंद्र इस अनुरोध पर ध्यान देने में विफल रहता है, तो उसे देश के लोगों से भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा. मुख्यमंत्री केसीआर ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से बिजली सुधारों को वापस लेने का अनुरोध कर रहा हूं क्योंकि ये सुधार इस देश के सबसे गरीब व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं हैं. यह बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों के लिए हानिकारक और खतरनाक है. मोदी सरकार कानूनों को वापस ले लेते हैं. उन्होने भूमि कानूनों और कृषि कानूनों को वापस लिया था. उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार सम्मानपूर्वक लोगों के विरोध के पहले बिजली सुधार वापस ले लें.
चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में बिजली सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि केन्द्र सरकार अपनी खराब नीतियों के कारण उपलब्ध बिजली का अधिकतम उपयोग करने में विफल रही है. केसीआर ने कहा कि आठ साल पहले एक ही समय में केंद्र सरकार का गठन हुआ और तेलंगाना सरकार का गठन हुआ. तेलंगाना में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 2014 में 970 यूनिट थी जो बढ़कर 2022 में 2,126 यूनिट हो गई है. राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 2014 में 957 यूनिट थी जो बढ़कर 2022 में 1,255 यूनिट हो गई है.
केसीआर ने केंद्र द्वारा राज्यों से परामर्श किए बिना, समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर संसद में कई विधेयकों को पारित करने पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने केंद्र द्वारा प्रकाशित नवीनतम राजपत्र को पढ़ा, जिसमें यह कहा गया है कि "कोई भी कनेक्शन बिना मीटर के नहीं दिया जाएगा और ऐसा मीटर स्मार्ट प्रीपेमेंट मीटर होगा." मुख्यमंत्री केसीआर ने आशंका जताई कि विधेयक के लागू होने से अकेले तेलंगाना में करीब 98 लाख परिवार प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ कृषि ही नहीं, सभी लोगों को बिजली कनेक्शन लेने के लिए स्मार्ट प्रीपेमेंट मीटर लगाना अनिवार्य है. उन्होंने कहा, "किसान, दलित, आदिवासी, लॉन्ड्री और सैलून, मुर्गी पालन, कपड़ा, एमएसएमई और वे सभी लोग जिन्हें सब्सिडी वाली बिजली मिल रही है, प्रभावित होंगे."
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लोगों को लूटने और अपने मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए यह कानून ला रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिजली कंपनियों के स्वामित्व वाली करोड़ों रुपये की संपत्ति कॉरपोरेट कंपनियों को सौंपने की कोशिश कर रहा है." उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों के कर्मचारियों को नौकरी चले जाने का खतरा मंडराएगा क्योंकि केंद्र बिजली कंपनियों का निजीकरण करने के लिए इच्छुक है.