उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतगणना के दिन रवीश कुमार ने हमारे साथी कमाल खान को याद किया. उन्होंने कहा कि चुनाव का माहौल शुरू हुआ ही था कि कमाल खान हमसे जुदा हो गए. उन्होंने कहा कि उनके बिना यह कवरेज फीका-फीका लगा, लेकिन हमारे अन्य साथियों ने बेहद मेहनत की है. उन्होंने कहा कि आज कमाल होते तो उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ज्यादा चर्चा होती, कुछ शेरो शायरी हो जाती, कुछ कविताएं हो जातीं, कुछ तुलसी रामायण का जिक्र हो जाता, पर आज कमाल हमारे साथ नहीं हैं.
रवीश कुमार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के साथ शुरू हुए इस चुनाव ने बहुत बाद में जाकर जोर पकड़ा था. याद करते चलिए, लगा कि पूरा चुनाव ही ऑनलाइन हो जाएगा. कुछ पता नहीं चल रहा था. वैसे चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि सभी पार्टियों की ऑनलाइन रैलियों में कितने लोग जुड़े थे. कितने लोग आ रहे थे, मीडिया ने इन चुनाव में बहुत मेहनत की. आप जानते हैं कि सभी राज्यों में सत्ता परिवर्तन की दस्तक है, लेकिन परिवर्तन होगा, नहीं होगा, इसके पहले देखिए कि इसके लिए किन बातों पर जोर दिया गया. राजनीतिक दलों ने अपने किन तीर का इस्तेमाल किया, किस तरह के शब्दों और मुद्दों से एक-दूसरे को घेरने की कोशिश की. बता दें कि आज पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के मतदान के बाद वोटों की काउंटिंग हो रही है.