लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने दिया इस्तीफा

अरुण गोयल का फिलहाल 2027 तक का कार्यकाल बचा हुआ था. हालांकि उससे करीब तीन साल पहले ही उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया. 

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अरुण गोयल पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे.
नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से कुछ हफ्तों पहले एक बेहद चौंकाने वाले कदम में चुनाव आयुक्‍त अरुण गोयल (Arun Goel) ने इस्‍तीफा दे दिया है. राष्‍ट्रपति ने उनका इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया है. निर्वाचन आयोग में मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त और दो चुनाव आयुक्‍त होते हैं. पहले से ही एक चुनाव आयुक्‍त का पद खाली है और अब अरुण गोयल के इस्‍तीफे के बाद पूरी जिम्‍मेदारी मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार के कंधों पर आ गई है. सूत्रों ने एनडीटीवी को शुक्रवार को बताया था कि लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अगले सप्ताह हो सकती हैं. ऐसे में अब यह देखना होगा कि क्‍या गोयल के इस्‍तीफे से समय सीमा प्रभावित होती है या नहीं.  

गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, गोयल का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया जो आज से ही प्रभावित हो गया. 

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फिलहाल यह पता नहीं चला पाया है कि गोयल ने इस्तीफा क्यों दिया. फरवरी में अनूप पांडे की सेवानिवृत्ति और गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग समिति में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं. 

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सेवानिवृत्त नौकरशाह अरुण गोयल पंजाब कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे. वह नवंबर 2022 में निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे. 

गोयल की नियुक्ति को दी गई थी चुनौती 

गोयल की निर्वाचन आयोग में नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ओर से दखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि अरुण गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है. साथ ही यह निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है.

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बाद में खारिज कर दी गई थी याचिका 

जनहित याचिका से पहले एडीआर ने निर्वाचन आयुक्तों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा. याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था. 

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हालांकि याचिका को पिछले साल दो न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था. साथ ही न्‍यायधीशों ने कहा था कि एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे की जांच की थी. साथ ही उन्‍होंने गोयल की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार कर दिया था. 

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