Covid-19 वैक्सीनेशन में मदद के लिए वोटर्स का डेटा सरकार को देगा चुनाव आयोग, बाद में डिलीट करने की रखी शर्त

चुनाव आयोग पोलिंग स्टेशन के लेवल पर वैक्सीनेशन के लिए लाभार्थियों की पहचान के लिए वोटरों का डेटा सरकार के साथ साझा करेगा लेकिन उसने कहा है कि टीकाकरण की प्रक्रिया खत्म हो जाने के बाद इस डेटा को डिलीट कर दिया जाए.

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वैक्सीन लाभार्थियों की पहचान के लिए सरकार को वोटरों का डेटा देगा चुनाव आयोग. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

चुनाव आयोग कोरोनावायरस के वैक्सीनेशन ड्राइव (Coronavirus Vaccination Drive) में लाभार्थियों की पहचान करने में 'पूरी मदद' करने को तैयार है. इस डेवलपमेंट की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि चुनाव आयोग ने कहा कि वो पोलिंग स्टेशन के लेवल पर वैक्सीनेशन के लिए लाभार्थियों की पहचान के लिए वोटरों का डेटा सरकार के साथ साझा करेगा लेकिन वो चाहता है कि टीकाकरण की प्रक्रिया खत्म हो जाने के बाद इस डेटा को डिलीट कर दिया जाए.

सूत्रों ने बताया कि पिछले साल 31 दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखकर पोलिंग स्टेशन के लेवल पर 50 साल से ऊपर की उम्र के लोगों की पहचान करने में उनकी मदद मांगी थी. डेटा की सुरक्षा के मुद्दे पर गृह सचिव ने कहा कि सरकार साइबर सिक्योरिटी को सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में मौजूद सभी बेहतर तरीकों का पालन कर रही है. उन्होंने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया था कि वोटरों के डेटा को बस वैक्सीनेशन के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.

सूत्रों ने जानकारी दी कि चुनाव आयोग ने बहुत सोच-विचार के बाद 4 जनवरी को गृह सचिव को चिट्ठी लिखकर कहा कि वो वैक्सीनेशन ड्राइव में 'पूरी मदद' देने को तैयार है. हालांकि, आयोग ने सरकार से कहा है कि इस डेटा को बस उसी काम के लिए इस्तेमाल किया जाए, जिसके लिए मांगा गया है. आयोग ने यह भी कहा है कि टीकाकरण पूरा हो जाने के बाद स्वास्थ्य प्रशासन को डेटा डिलीट कर देना होगा.

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सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी छोटे-छोटे मुद्दों के लिए गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के नोडल ऑफिसरों के संपर्क में रहेंगे. पिछले महीने स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग के कुछ अधिकारी चुनाव आयोग के कुछ उच्च अधिकारियों से मिले थे.

कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दिशानिर्देशों के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा चुनावों की नवीनतम मतदाता सूची का इस्तेमाल 50 वर्ष से अधिक उम्र के प्राथमिकता वाली आबादी का पता लगाने में किया जाएगा. लाभार्थियों की पहचान के लिए मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पेंशन दस्तावेज सहित 12 पहचान पत्रों की जरूरत होगी.

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सरकार के मुताबिक, सबसे पहले करीब एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के दो करोड़ कर्मियों को टीका दिया जाएगा. इसके बाद 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और फिर अन्य बीमारियों से ग्रस्त 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों को टीका दिया जाएगा. स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ताओं के टीकाकरण का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.

वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश

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