निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक मतदान अवधि में TMC कार्यकर्ताओं की हिरासत के आदेश दे रहे हैं: सीएम ममता

बीरभूम के बोलपुर स्थित गीतांजलि सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा संयोग से उन्हें विशेष पर्यवेक्षकों की व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत का विवरण मिल गया था और जोर दिया कि उन्हें “कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है.

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आयोग ममता बनर्जी के प्रचार पर 24 घंटों की रोक भी लगा चुका है.
बोलपुर:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के तीन विशेष पर्यवेक्षक मतदान से पहले “तृणमूल कांग्रेस (तृकां) के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के आदेश पुलिस अधिकारियों को” दे रहे थे . उन्होंने कहा कि इस तरह की “साजिशों” के खिलाफ चुनाव के बाद वह उच्चतम न्यायालय जाएंगी. बीरभूम के बोलपुर स्थित गीतांजलि सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा संयोग से उन्हें विशेष पर्यवेक्षकों की व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत का विवरण मिल गया था और जोर दिया कि उन्हें “कारण बताओ नोटिस (निर्वाचन आयोग द्वारा) दिया जा सकता है, लेकिन चुप नहीं कराया जा सकता.” बनर्जी को पूर्व में आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जानना चाहा था कि उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों से उनकी पार्टी के पक्ष में एक मुश्त वोट करने को क्यों कहा था और केंद्रीय बलों को लेकर उनकी टिप्पणी पर भी उन्हें नोटिस दिया गया था. आयोग ममता बनर्जी के प्रचार पर 24 घंटों की रोक भी लगा चुका है.

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तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, “बहुत हुआ. अगर वे (निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए काम कर रहे हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वे तो सिर्फ भाजपा की मदद के लिये काम कर रहे हैं. वे तृणमूल को खत्म करना चाहते हैं.” उन्होंने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों समेत शीर्ष अधिकारियों के साथ विशेष पर्यवेक्षकों की कथित चैट का विवरण दिखाते हुए कहा, “ये अधिकारी हमारे लोगों को चुनाव से पहले की रात को हिरासत में लेने और उन्हें अगले दिन तक हिरासत में रखने के आदेश दे रहे हैं. मैंने व्हाट्सऐप पर हुई उनकी बातचीत का विवरण देखा है, जिसे एक संवाददाता ने मुझे दिया था. और मूल रूप से यह जरूर भाजपा के लोगों की तरफ से आया होगा.”

बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और चुनाव के बाद ऐसी “साजिश और पक्षपातपूर्ण रुख” के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी. मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई, “यह आपका (निर्वाचन आयोग के विशेष पर्यवेक्षकों का) काम है कि पुलिस से लोगों को हिरासत में लेने को कहें?” ममता बनर्जी ने इस बात पर नाराजगी जताई की आयोग के विशेष पर्यवेक्षक ने “चैट में तृणमूल के सक्रिय कार्यकर्ताओं का नाम लिया और उन्हें गड़बड़ी पैदा करने वालों के तौर पर इंगित किया.” बनर्जी ने दावा किया कि अधिकारी ने “पुलिस से उन सभी को गिरफ्तार करने को कहा जिससे वे चुनाव की कवायद के दौरान कहीं दिखाई न दे सकें.”

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बनर्जी ने कहा, “चैट में विशेष पुलिस पर्यवेक्षक तृणमूल कार्यकर्ताओं को ‘गुंडा' करार दे रहे हैं जो भाजपा एजेंटों को उनका काम नहीं करने दे रहे. क्या निर्वाचन आयोग किसी पार्टी के खिलाफ इस तरह के विशेषण का इस्तेमाल कर सकता है?” उन्होंने दावा किया, “हालांकि, ये तीन सेवानिवृत्त लोग चुनावों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे. उनके पक्षपातपूर्ण आचरण से भाजपा को सिर्फ सात-आठ सीटें जीतने में मदद मिलेगी. मैं व्यक्तिगत रूप से मानती हूं कि भाजपा 70 सीटों से ज्यादा नहीं जीत पाएगी.” उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार “2016 के चुनावों से इस तरह की धमकी और दखलंदाजी को” बर्दाश्त कर रही है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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