- EC ने पर्दानशीं महिलाओं के मतदान के दौरान पहचान जांच महिला अधिकारियों की मौजूदगी में करने का फैसला किया है
- मतदान केंद्रों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी ताकि बुर्का पहनने वाली महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें
- बिहार बीजेपी अध्यक्ष के बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान वोटर कार्ड से करने की मांग पर विवाद उभरा था
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच चुनाव आयोग ने ‘पर्दानशीं' यानी बुर्का या पर्दा पहनने वाली महिलाओं के मतदान के दौरान सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं. बीजेपी और विपक्ष के बीच पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे पर चल रही बहस के बीच आयोग ने साफ किया है कि ऐसी महिलाओं की पहचान जांच महिला अधिकारियों की मौजूदगी में की जाएगी. इसका मकसद है महिलाओं की गोपनीयता और गरिमा को सुरक्षित रखते हुए उन्हें मतदान के अधिकार का पूरा उपयोग करने का अवसर देना है.
आयोग ने कहा है कि मतदान केंद्रों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी ताकि पर्दानशीं महिलाओं की भागीदारी बढ़े और कोई भी मतदाता असहज महसूस न करे. यह कदम सीधे तौर पर उन विवादों को शांत करने के रूप में देखा जा रहा है, जो हाल में बिहार बीजेपी अध्यक्ष की टिप्पणी के बाद उभरे थे.
कैसे शुरू हुआ था विवाद?
कुछ दिन पहले बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि “बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं की पहचान उनके वोटर कार्ड से की जाए”. उन्होंने सवाल उठाया था कि कहीं इस प्रक्रिया का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा. इस बयान के बाद यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि सभी चीज़ों की एक प्रक्रिया होती है. अगर जरूरत पड़ी तो बुर्कानशीं महिलाओं की चेकिंग होगी, लेकिन यह महिला अधिकारियों की निगरानी में ही होगी. आयोग के नियम बहुत स्पष्ट हैं, और इनका कड़ाई से पालन किया जाएगा.
विपक्ष का पलटवार: ‘राजनीतिक एजेंडा'
राजद ने बीजेपी पर इस मुद्दे को राजनीतिक साजिश बताया. पार्टी नेता अभय कुशवाहा ने कहा कि हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान सभी मतदाताओं की नई फोटोयुक्त वोटर लिस्ट तैयार की गई है, इसलिए पहचान का कोई बड़ा संकट नहीं है. उनका कहना था कि बीजेपी इस मुद्दे को धर्म और पहनावे से जोड़कर अपना एजेंडा थोपना चाहती है. पहचान जांच की प्रक्रिया पहले से पारदर्शी है.
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