लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने की कवायद तेज हो रही है और इस मुहिम में मल्लिकार्जुन खरगे, नीतीश कुमार और शरद पवार नए केंद्रबिंदु बनकर उभरे हैं, लेकिन इस कोशिश में उनके सामने कई अड़चने और चुनातियां हैं. शरद पवार ने गुरुवार को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी और विपक्ष को एक मंच पर लाने के लिए रोडमैप रखा था. इस मुलाकात को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को अपनी चुनावी रणनीति मिलकर तय करनी होगी.
दरअसल, विपक्ष के सामने एकजुटता की चुनौती उन राज्यों में ज्यादा है, जहां वो एक दूसरे के सामने खड़े हैं, जैसे केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UDF और लेफ्ट की LDF, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट-कांग्रेस, दिल्ली में कांग्रेस और AAP और उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस और बसपा.
एंटी बीजेपी वोटों का बंटवारा रोकना होगा - राजा
डी राजा ने कहा कि जिस सोच के साथ एकजुटता की बात दिल्ली में होती है उसे राज्यों में भी लागू करना होगा. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक में कांग्रेस, सीपीएम और सीपीआई के साथ किसी सीट शेयरिंग एग्रीमेंट के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि बड़ी विपक्षी पार्टियों को रियलिस्टिक और उदार होना पड़ेगा.
डी राजा ने कहा कि एंटी-बीजेपी वोटों के बंटवारे को रोकना होगा. साथ ही बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को अपनी चुनावी रणनीति मिलकर तय करनी होगी.
कांग्रेस नहीं है तैयार - राजा
उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं. हमें राज्य स्तर पर भी उसी सोच के साथ रणनीति बनानी होगी. उदाहरण के लिए कर्नाटक में कांग्रेस सीपीएम और सीपीआई के साथ किसी सीट शेयरिंग एग्रीमेंट के लिए तैयार नहीं है. हम एक छोटी ताकत हो सकते हैं, लेकिन सेकुलरिज्म को मजबूत करने के लिए कांग्रेस को हमसे बात करनी चाहिए थी लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है.
ये भी पढ़ें :
* शरद पवार की राहुल और खरगे के साथ बैठक में क्या बनी विपक्ष को एकजुट करने की रणनीति?
* "यह तीसरा नहीं पहला मोर्चा", दिल्ली में CM नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद के.सी त्यागी
* JDU ने सुझाया OSOC फार्मूला, क्या 2024 में विपक्ष नामुमकिन को मुमकिन बना सकता है?