पेट्रोल-डीजल, गैस और रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं की महंगाई के बीच खाद्य तेलों की महंगाई (Edible oil prices ) में और बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. खाद्य तेलों के दामों में भारी तेजी के बीच खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को सदस्यों से अनुरोध किया कि वे अधिकतम खुदरा मूल्य (ईझ) बढ़ाने से परहेज करें और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करें. संगठन के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने अपने सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा कि देश खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों से जूझ रहा है और रूस-यूक्रेन गतिरोध के कारण स्थिति और खराब हो गई है.
उन्होंने कहा, ऊंची खाद्य तेल मुद्रास्फीति, भले ही यह काफी हद तक आयात के कारण हो, ने नीति-निर्माताओं को परेशान कर रखा है. हालांकि, अधिकारियों को लगता है कि व्यापारियों द्वारा खाद्य तेलों और तिलहनों की जमाखोरी से कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन हमारा ऐसा मानना नहीं है. चतुर्वेदी ने सदस्यों को भंडारण नियंत्रण आदेश के तहत निर्धारित की जा रही स्टॉक सीमा का सख्ती से पालन करने की सलाह दी. उन्होंने सदस्यों से असुविधा से बचने के लिए एमआरपी को बढ़ाने से बचने के लिए भी कहा. मुंबई स्थित संगठन ने भी सदस्यों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि आपूर्ति शृंखला सुचारू रूप से बनी रहे और उपभोक्ताओं को कोई कठिनाई न हो.
भारत अपनी 60 प्रतिशत खाद्य तेल की मांग को आयात के माध्यम से पूरा करता है. सरकार ने कीमतों पर लगाम लगाने के लिए आयात शुल्क में कटौती, स्टॉक रखने की सीमा तय करने और जमाखोरी की जांच के लिए औचक निरीक्षण जैसे कई उपाय किए हैं.