CM हेमंत सोरेन को खनन पट्टा आवंटन में पूजा सिंघल की थी भूमिका: ईडी ने हाईकोर्ट को बताया

सुप्रीम कोर्ट झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों तथा सहयोगियों द्वारा चलायी जा रही कुछ छद्म कंपनियों को खनन पट्टों की कथित मंजूरी की सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय की जांच से जुड़ी एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है.

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हेमंत सोरेन को खनन पट्टा आवंटन करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है.
रांची:

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सौंपे एक हलफनामे में कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के नाम खनन पट्टा आवंटित करने में कथित मनरेगा घोटाले के सिलसिले में निलंबित खनन सचिव पूजा सिंघल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा. रवि रंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ के समक्ष शपथ पत्र के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन को उनके नाम राज्य की राजधानी रांची में खनन पट्टा आवंटित करने में सिंघल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उसने कहा कि इतना ही नहीं, धन शोधन से जुड़े मामलों में भी सिंघल कथित रूप से शामिल रही हैं और इसका साक्ष्य भी निदेशालय को मिला है.

उल्लेखनीय है कि एक विशेष अदालत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) निधि के कथित गबन से जुड़े धन शोधन मामले में झारखंड काडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा सिंघल को सोमवार को चार और दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.

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निदेशालय का शपथ पत्र देखने के बाद खंड पीठ ने सभी प्रतिवादियों को 23 मई तक इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

शपथपत्र में ईडी ने अदालत से आग्रह किया है कि अदालत में उसकी ओर से जो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट और दस्तावेज सौंपे गए हैं, वे झारखंड पुलिस और झारखंड सरकार के नियंत्रण वाले किसी प्राधिकार को नहीं सौंपे जायें. निदेशालय ने कहा कि अभी प्रारंभिक जानकारी दी गई है और आवश्यक होने पर ईडी इस मामले में पूरक शपथ पत्र भी दाखिल करेगी.

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ईडी ने कोर्ट में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच के दौरान पाया गया कि खनन सचिव ने प्रतिवादी संख्या सात, जो राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं, को खनन पट्टे का आवंटन  किया है. हलफनामे में कहा गया है, "उक्त सामग्री प्रतिवादी संख्या 7 के पक्ष में पट्टे के आवंटन से संबंधित है जो 2022 के डब्लू.पी. (पीआईएल) संख्या 727 की विषय वस्तु है." 

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शिव शंकर शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में विशेष रूप से, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रतिवादी संख्या 7 बनाया गया है. पीआईएल में सोरेन के खिलाफ उनके नाम पर एक पत्थर खनन पट्टा आवंटित करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की गई है.

इधर, सुप्रीम कोर्ट झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों तथा सहयोगियों द्वारा चलायी जा रही कुछ छद्म कंपनियों को खनन पट्टों की कथित मंजूरी की सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय की जांच से जुड़ी एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है.

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