प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने एक बड़े साइबर ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जांच में सामने आया कि इन आरोपियों ने साइबर फ्रॉड के जरिए लोगों को ठगकर 100 करोड़ रुपये से ज्याद की काली कमाई इकट्ठी की. मामले में ईडी ने जांच की शुरुआत सूरत पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की दर्ज एफआईआर के आधार पर की थी, जो 15 अक्टूबर 2024 को दर्ज हुई थी. इसकी हैडलाइन बनाएं
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं –
- मकबूल अब्दुल रहमान डॉक्टर
- काशिफ मकबूल डॉक्टर
- महेश माफतलाल देसाई
- ओम राजेंद्र पांड्या
डिजिटल अरेस्ट और फर्जी नोटिस भेजकर ठगी
जांच में खुलासा हुआ है कि मकबूल डॉक्टर, उसके बेटे काशिफ और बासम मकबूल ने अपने साथी महेश देसाई के साथ मिलकर लोगों को कई तरह के साइबर फ्रॉड जैसे डिजिटल अरेस्ट, फॉरेक्स ट्रेडिंग, फर्जी ईडी और सुप्रीम कोर्ट के नोटिस में फंसाया. झांसे में आकर कई लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए.
फर्जी बैंक अकाउंट और सिम कार्ड का इस्तेमाल
ईडी के मुताबिक, आरोपी अपने कर्मचारियों और साथियों के नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट खोलते थे, जिनमें ठगी का पैसा जमा कराया जाता था. इसके बाद उन्हीं अकाउंट्स को चलाने के लिए प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था, ताकि असली पहचान छिपी रहे.
हवाला और क्रिप्टो में बदला पैसा
जांच में यह भी सामने आया है कि ठगी से कमाया गया पैसा हवाला चैनल के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता था, ताकि एजेंसियों की नजर से बचा जा सके.
ईडी की कस्टडी में भेजे गए आरोपी
गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को अहमदाबाद की पीएमएलए विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से अदालत ने 5 दिन की ईडी कस्टडी मंजूर की है, ताकि आगे की जांच की जा सके. ईडी की टीम अब इस पूरे नेटवर्क के बाकी सदस्यों और पैसों की ट्रेल का पता लगाने में जुटी है.