क्या है वो मामला जिसमें सिद्धारमैया पर ED ने दर्ज की है एफआईआर, उनकी पत्नी पर क्या हैं आरोप

प्रवर्तन निदेशालय ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है. यह मामला जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है. इस मामले सिद्धारमैया की पत्नी को भी आरोपी बनाया गया है. सिद्धारमैया ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है.

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नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया. यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण में हुए जमीन घोटाले से जुड़ा है.ईडी ने इस मामले में सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी पार्वती,साले मल्लिकार्जुन स्वामी और कुछ अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है.कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने 16 अगस्त को इस घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे.सिद्धारमैया ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी,लेकिन अदालत ने 24 सितंबर को जांच के आदेश को सही बताया है.अब सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने सभी 14 विवादित प्लाट प्राधिकरण को वापस लौटाने की पेशकश की है.वहीं सिद्धारमैया ने उम्मीद जताई है कि सत्य की जीत होगी.

ईडी ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया है कि पार्वती को मैसूर में 14 प्लॉट आबंटित किए गए थे. इस प्लॉट आबंटन में हुए लेनदेन की वैधता पर सवाल उठे हैं. मल्लिकार्जुन स्वामी पर आरोप है कि उन्होंने जमीन खरीदी और बाद में उसे पार्वती को उपहार के तौर पर दे दिया था.

शिकायत दर शिकात

कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को जांच का जिम्मा सौंपा है, जिसके तहत 27 सितंबर को लोकायुक्त पुलिस ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले में एफआईआर दर्ज की थी.दरअसल एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने 'मुडा' अधिकारियों से मिलिभगत कर 14 महंगे प्लाट हासिल कर लिए थे. 

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राज्यपाल ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दी थी.मुख्यमंत्री ने 19 अगस्त को इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना के पीठ ने 24 सितंबर को सिद्धारमैया की याचिका खारिज करते हुए इस मामले में जांच के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को बरकरार रखा. अदालत ने कहा,''याचिका में जिन बातों का जिक्र है,उसकी जांच जरूरी है.केस में मुख्यमंत्री का परिवार शामिल है,इसलिए याचिका खारिज की जाती है.''

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क्या है पूरा मामला

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (मुडा) ने 1992 में रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन अधिग्रहीत की. इसके बदले मुडा की एक योजना के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50 फीसदी साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई.मुडा पर आरोप है कि उसने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसूर के एक पॉश इलाके में 14 प्लाट आबंटित किए.इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में बहुत ज्यादा थी.आरोप यह भी है कि जिस 3.16 एकड़ जमीन के बदले पार्वती को 14 प्लाट दिए गए, उन पर उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं था.वह जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 2010 में उन्हें उपहार के तौर पर दी थी. मुडा ने उस जमीन का अधिग्रहण किए बिना देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकसित कर दिया था. 

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इस मामले में स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.उनका आरोप है कि सिद्धारमैया ने मुडा साइट को पारिवारिक संपत्ति का दावा करने के लिए कागजात में जालसाजी की है. उनका कहना है कि 1998 से 2023 तक सिद्धारमैया कर्नाटक में मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री जैसे प्रभावशाली पदों पर रहे. इस दौरान उन्होंने अपने करीबियों की मदद की है.

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सिद्धारमैया  की सफाई

इन आरोपों पर सिद्धारमैया का कहना है कि बीजेपी सरकार में उनकी पत्नी को जमीन मिली. उन्होंने कहा कि 2014 में जब मैं मुख्यमंत्री था तो पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था.मैंने पत्नी से कहा था कि जब तक मैं मुख्यमंत्री हूं तब तक मुआवजे के लिए आवेदन ना किया जाए.साल 2020-21 में जब बीजेपी की सरकार थी,तब पत्नी को मुआवजे की जमीन आवंटित की गई.उनका कहना है कि बीजेपी उनके खिलाफ झूठे आरोप लगा रही है.उन्होंने कहा है कि सत्य की जीत होगी. वो जांच का सामना करने से नहीं डरते है, लेकिन कानूनी सलाह लेंगे कि इस मामले में जांच हो सकती है या नहीं.उन्होंने कहा है कि वो कानून और संविधान में विश्वास करते हैं. अंत में सच की जीत होगी.

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