केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अजय चंद्रा और संजय चंद्रा की 18 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. इसमे 2 बेनामी संपत्ति भी शामिल हैं. जब्त की गई संपत्तियों में गुरुग्राम का एक मल्टीप्लेक्स और गुरुग्राम-लखनऊ की 6 कमर्शियल प्रॉपर्टी शामिल हैं. इनमें 24 बैंक एकाउंट और FDR शामिल हैं. ये सभी संपत्ति 2 अन्य प्राइवेट कंपनियों के नाम पर हैं, जिनपर परोक्ष रूप से चंद्रा बन्धुओं का स्वामित्व है.
ये संपत्तियां मेसर्स एनोवा फैसिलिटी मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एफएनएम प्रॉपर्टी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर हैं, जो चंद्रा बन्धुओं से जुड़ी दो बेनामी संस्थाएं हैं. संजय चंद्रा और उनके बड़े भाई अजय चंद्रा यूनिटेक के पूर्व मालिक हैं. यूनिटेक कई सालों तक रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी रही है. दोनों भाइयों को 2017 में ग्राहकों के साथ धोखा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दोनों ने ग्राहकों से सैकड़ों करोड़ रुपये एकत्र किए थे. दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय अपराधों के आरोप भी हैं.
इस साल की शुरुआत में, एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत समूह और चंद्रा परिवार के खिलाफ आरोप लगाया था कि उन्होंने अवैध रूप से साइप्रस और केमैन द्वीप समूह में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया था.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने इससे पहले इस संबंध में हरियाणा, यूपी और राजस्थान में कई स्थानों पर छापेमारी की थी. मामले में इस छापेमारी के साथ कुल कुर्की 690.66 करोड़ रु. तक पहुंच गई थी.
ईडी ने जांच में दावा किया था कि "इन कंपनियों में धन का स्रोत केमैन आइलैंड-आधारित इकाई, ट्राइकर फंड लिमिटेड (एसपीसी) से था. जिसे, चंद्रा परिवार द्वारा एक अन्य केमैन-आधारित इकाई ट्राइकर एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड एसपीसी के माध्यम से नियंत्रित किया जा रहा था."
याद दिला दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए भाइयों के साथ मिलीभगत और उन्हें जेल के भीतर से अपना व्यवसाय चलाने की अनुमति देने के लिए निलंबित करने का आदेश दिया था.