ईडी ने उद्धव ठाकरे के करीबी शिवसेना के पूर्व विधायक से संबद्ध चीनी मिल की संपत्ति कुर्क की

ईडी ने पिछले साल एमएससीबी घोटाला मामले में सतारा में स्थित एक चीनी मिल की 65 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की थी और कहा था कि राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं राकांपा नेता अजीत पवार तथा उनकी पत्नी से संबद्ध एक कंपनी इसमें संलिप्त है.

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नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) में कथित घोटाले की धन शोधन जांच के सिलसिले में शिवसेना के पूर्व विधायक अर्जुन खोटकर से संबद्ध जालना स्थित एक चीनी मिल की 78.38 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति शुक्रवार को कुर्क कर ली. ईडी के एक तत्कालिक आदेश जारी करने के बाद जालना सहकारी साखर (शक्कर) कारखाना (एसएसके) लिमिटेड से संबद्ध 200 एकड़ से अधिक जमीन, संयंत्र, मशीन और इमारत को कुर्क कर लिया गया. यह कारखाना जिले के स्वारगांव हडप गांव में स्थित है.

ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘जालना एसएसके की संपत्ति वर्तमान में अर्जुन शुगर इंडस्टट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है, जो (कंपनी) अर्जुन खोटकर और अन्य ने जालना एसएसके लिमिटेड को खरीदने को लेकर 8 मई को बनाई थी. ''

खोटकर (60) जालना से शिवसेना के विधायक रह चुके हैं और वह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वह पार्टी प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते हैं. ठाकरे इन दिनों अपनी ही पार्टी के बागी विधायकों की ओर से पैदा किए गए राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं.

ईडी ने पिछले साल एमएससीबी घोटाला मामले में सतारा में स्थित एक चीनी मिल की 65 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की थी और कहा था कि राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं राकांपा नेता अजीत पवार तथा उनकी पत्नी से संबद्ध एक कंपनी इसमें संलिप्त है.

धन शोधन की यह जांच अगस्त 2019 में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की प्राथमिकी से शुरू हुई है. उस साल 22 अगस्त को बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी. अदालत ने कथित फर्जी माध्यम से महाराष्ट्र सहकारी क्षेत्र में चीनी कारखानों की बिक्री और सहकारी एसएसके को औने-पोने दाम पर बेचने के आरोपों की जांच का आदेश दिया था.

ईडी की जांच में पाया गया कि एसएसके की बिक्री की निविदा प्रक्रिया में फर्जी तरीका अपनाया गया. एजेंसी ने कहा बिक्री के बाद से एसएसके बंद रही है. मिल की स्थापना 1984-85 में करीब 235 एकड़ जमीन पर की गई थी जिसमें 100 एकड़ जमीन महाराष्ट्र सरकार से बगैर किसी विचार-विमर्श के ली गई थी.

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जालना एसएसके एमएससीबी से लिये रिण को चुका पाने में नाकाम रहा और इसे 31 मार्च 2002 को गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया गया था. ईडी ने कहा कि खोटकर 1998-2004 की अवधि के दौरान एमएससीबी के निदेशक मंडल में शामिल थे और वह जालना एसएसके के 1997-2003 की अवधि के दौरान निदेशक थे.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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