संघीय जांच एजेंसी ने 10 मार्च को भी चैतन्य बघेल के खिलाफ इसी तरह की छापेमारी की थी.
- ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को शराब घोटाले के धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया.
- ईडी ने इस मामले में अब तक लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की हैं और कई अन्य गिरफ्तारियां भी हुई हैं.
- भूपेश बघेल ने कहा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया है. ईडी ने शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तार की है. ईडी का आरोपी है कि घोटाले का पैसा चैतन्य बघेल के पास जा रहा था. ये घोटाला साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था और इससे 2161 करोड़ की कमाई की गई थी. इस मामले में ED अब तक करीब 205 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच कर चुकी है.
ईडी ने भूपेश बघेल के परिसरों पर शुक्रवार को फिर छापेमारी की थी. बताया जा रहा है कि मामले में नए साक्ष्य मिलने के बाद ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दुर्ग जिले के भिलाई शहर में स्थित बघेल के आवास पर छापा मारा. यह पिता-पुत्र का साझा आवास है.
घोटाले से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. जबकि सिंडिकेट के सदस्यों ने 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की. इस मामले में पहले भी गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. ईडी ने अब तक इन लोगों को गिरफ्तार किया है उनके नाम इस प्रकार है-
1.अनिल टूटेजा (पूर्व IAS अधिकारी)
2.अरविंद सिंह
3.त्रिलोक सिंह ढिल्लों
4. अनवर ढेबर
5. अरुण पति त्रिपाठी
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि राज्य में एक संगठित शराब सिंडिकेट काम कर रहा था. जिसमें अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और कई अन्य लोग शामिल थे. इस घोटाले से करीब 2161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (Proceeds of Crime) हुई. ED की जांच में यह भी पता चला है कि कवासी लखमा, जो तत्कालीन आबकारी मंत्री थे, उन्हें इस घोटाले से हर महीने मोटी नकद रकम दी जाती थी. यह रकम घोटाले से होने वाली कमाई से दी जाती थी.
शराब घोटाले की पूरी प्लानिंग ऐसे की गई थी
यह घोटाला साल 2019 से 2022 के बीच चला. इसमें अलग-अलग तरीके से अवैध कमाई की गई—
कमीशन वसूली
शराब की खरीदारी पर डिस्टिलर्स (शराब बनाने वाली कंपनियों) से प्रति केस कमीशन के तौर पर रिश्वत ली जाती थी. यह शराब CSMCL (छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम) द्वारा खरीदी जाती थी.
कच्ची बिक्री
राज्य की सरकारी दुकानों से बिना किसी रिकॉर्ड के कच्ची देशी शराब बेची जाती थी. इस बिक्री से सरकार को एक रुपया भी नहीं मिला, सारा पैसा सिंडिकेट की जेब में चला गया.
बाजार बंटवारा और रिश्वत
डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर उन्हें फिक्स मार्केट शेयर दे दिए जाते थे, ताकि वे एक तरह से कार्टेल बना सकें. साथ ही FL-10A लाइसेंस धारकों से भी विदेशी शराब के धंधे में एंट्री देने के बदले मोटी रकम वसूली जाती थी.
"ईडी का दुरुपयोग किया": बघेल
भिलाई स्थित अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से आज बात करते हुए बघेल ने आरोप लगाया, ‘‘एक तरफ बिहार में निर्वाचन आयोग की मदद से मतदाताओं के नाम (मतदाता सूची से) हटाए जा रहे हैं...प्रजातंत्र का चीरहरण किया जा रहा है. दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए ईडी, आईटी, सीबीआई, डीआरआई का दुरुपयोग किया जा रहा है. लेकिन अब देश की जनता समझ गई है और अच्छी तरह से जागरूक है.''
अपने बेटे चैतन्य की सालगिरह वाले दिन हुई छापेमारी के समय पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, ''मेरे जन्मदिन परमेरे सलाहकार और दो ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी थी. और अब मेरे बेटे चैतन्य के जन्मदिन पर मेरे घर पर ईडी की टीम छापामारी कर रही हैय इन तोहफों का धन्यवाद। ताउम्र याद रहेगा.''