राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर (NCR) के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र चीन का दक्षिणी झिंजियांग है. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.2 मापी गई है. 11 बजकर 39 मिनट 11 सेकेंड पर ये भूकंप आया. जमीन के 80 किलोमीटर अंदर इसका केंद्र बताया जा रहा है.
भूकंप के खतरे के मद्देनजर सीस्मिक जोन में बांटे गए हैं देश के इलाके
भू-वैज्ञानिकों ने भूकंप के खतरे को देखते हुए देश के हिस्सों को सीस्मिक जोन में बांटा है. सबसे कम खतरा जोन 2 में है और सबसे ज्यादा जोन 5 में है. दिल्ली जोन 4 में है, यहां रिक्टर पैमाने पर 6 से ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप भारी तबाही मचा सकता है. जोन 4 में मुंबई, दिल्ली जैसे शहर हैं. इनके अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पश्चिमी गुजरात, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके इसमें शामिल हैं. यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है.
क्यों आता है भूकंप?
- पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है.
- बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं.
- नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है. डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.
भूकंप आए तो क्या करें?
विशेषज्ञ बीच-बीच में ऐसे कई उपाय सुझाते रहे हैं, जिनसे भूकंप के बाद होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार नुकसान को कम करने और जान बचाने के लिए कुछ तरकीबें हैं, जिनसे मदद मिल सकती है.
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं. मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें. टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें. घर के किसी कोने में चले जाएं और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें. बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें. आसपास भारी फर्नीचर हो तो उससे दूर रहें. लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है लिफ्ट और बिजली जाने से भी रुक सकती है लिफ्ट. कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं. झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें.
भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दबने पर क्या करें
अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो माचिस हरगिज़ न जलाएं, क्योंकि इस दौरान गैस लीक होने का खतरा हो सकता है. हिलें नहीं, और धूल न उड़ाएं. किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें. अगर कपड़ा न हो तो उसे ढक लें. किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके. यदि कोई सीटी उपलब्ध हो तो बजाते रहें. यदि कोई और जरिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, इसीलिए सावधान रहें.