Exclusive: हरियाणा में 'C+D' क्या करेगा खेल? दुष्यंत ने बताया चंद्रशेखर से क्यों की यारी

BSP और इनेलो के गठबंधन को लेकर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यह गठबंधन पहली बार नहीं हुआ है. हर बार चुनाव के पहले ये गठबंधन करते हैं और चुनाव के नतीजे से पहले इनका गठबंधन टूट जाता है.

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नई दिल्ली:

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) को लेकर तमाम दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है.  जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने आजाद समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. दोनों ही दलों के बीच गठबंधन को लेकर समझौते हो चुके हैं. एनडीटीवी से बात करते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि दोनों ही दलों के बीच विचारों की दोस्ती बहुत पुरानी है.  मान्यवर कांशीराम और चौधरी देवी लाल जी का जो रिश्ता रहा उसने 1989 के चुनाव में बड़ा बदलाव लाने का काम किया था. किसान और कमेरो को साथ लेकर दोनों आए थे. चौधरी देवीलाल जब दिल्ली गए तो उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न दिलवाया.

चंद्रशेखर और हमारा गठबंधन अगले 40-45 साल तक चलेगा
चंद्रशेखर और हम मिलकर साथ चले यह किसान और कमेरो की लड़ाई है. हम दोनों मिलकर अगले 40-45 साल देश को दिशा देंगे. दोनों ने फैसला किया है अपनी ताकत से हरियाणा को प्रगति की राह दिखाएंगे. मैं तो यह कहता हूं कि हम दोनों 36 साल के हैं. हमारे लिए युवा सबसे पहले आते हैं महिलाओं की सुरक्षा आती है. किसान और कमेरों का उत्थान पहले आता है. जिस दिन गठबंधन हुआ मैं उसी दिन साफ कर दिया था कि यह हमारी प्राथमिकता रहेगी. अगर जाट और दलित के साथ आने के समीकरण बनते हैं तो मैं चाहता हूं और भी जुड़े.  ब्राह्मण कम्युनिटी का और अग्रवाल कमेटी भी इससे जुड़े . हम तो 36 बिरादरी को साथ लेकर चलते हैं. 

बसपा और इनेलो के गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि यह गठबंधन पहली बार नहीं हुआ है. हर वक्त चुनाव के नतीजे से पहले टूट जाता है. आपको याद होगा जब दिल्ली में संत रविदास का मंदिर टूटा था हरियाणा के 55 युवा जेल में थे . चंद्रशेखर भी जेल में थे उस समय हमारी पार्टी ने वादा किया था कि 5 एकड़ में कुरुक्षेत्र में संत रविदास का मंदिर बनाएंगे. और हमने पूरा किया . बसपा और इनेलो के  गठबंधन कितनी बार हुए और टूटे उनके विचार नहीं मिलते हैं. 

बसपा का हरियाणा में नहीं बचा है कैडर
बसपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि एक समय था जब मान्यवर कांशीराम का कैडर पूरे प्रदेश में था  आज के दिन मायावती मेरे ख्याल से एक बार आई होगी. उनका कैडर बचा ही नहीं है. मैं मानता हूं उस आवाज को चंद्रशेखर ने नेतृत्व दिया है जो कांशीराम लेकर चले थे. यह समय है जो हमारे साथ के सात एमएलए हमसे छिटक गए  . 1982 में चौधरी देवीलाल की सरकार थी भजनलाल कई को लेकर चले गए. क्षेत्रीय पार्टियों के साथ होता है.

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दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कोई भी पार्टी कैडर के दम पर चलती है जो सोच के साथ जुड़े हैं वह टिकेंगे . जो नहीं है वह तो जाएंगे ही . आप बताएं अकाली दल के समय जो पार्टी के साथ जुड़े थे वह आज कितने उस पार्टी साथ जुड़े हैं . चुनाव लड़ने वाले जब होते हैं वह मौके पर अपना स्वार्थ देखते हैं. अगर कैडर लड़ाई लड़ने का हौसला रखते हैं तो पार्टी दोबारा जिंदा हो जाती है.

उन्होंने कहा कि अगर कोई गलती हो गई है तो उन्हीं के बीच जाएंगे और उनसे माफी भी मांगेंगे. वह हमें गले भी लगाएंगे . यह तो हमारे अपने हैं यही हमें जिताएंगे . पिछली बार 10 एमएलए जीते थे इनके बदौलत ही जीते थे.अपनी उपलब्धियों को गिनवाते हुए दुष्यंत ने बताया कि मेरे प्रयासों से वृद्धा पेंशन को 3000 रुपये तक पहुंचाया.  प्रदेश के अंदर पंचायत में 50 फ़ीसदी महिलाओं को हिस्सेदारी दी. आज पंचायत में बैकवर्ड कम्युनिटी को 8 फ़ीसदी हिस्सेदारी मिली है. 

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किसानों की नाराजगी को मैं मानता हूं: दुष्यंत चौटाला
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसानों के अंदर नाराजगी है  यह मानता हूं. मैंने उसे वक्त कहा था जिस दिन एमएसपी पर आ जाएगी मैं उसे वक्त इस्तीफा दे दूंगा. हमने प्रदेश में किसानों को उचित दाम दिलवाया. जब किसान आंदोलन हुआ तो हम भी प्रयास कर रहे थे सरकार के अंदर . क्योंकि बिल तो हरियाणा सरकार ने नहीं बनाई थी केंद्र ने बनाई थी. मैंने पत्र भी प्रधानमंत्री को लिखा था . हमने केंद्र के साथ तालमेल कर सकते थे वह मैंने बनाया.

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