सरकारी बैंक कर्मचारियों के दो दिन की हड़ताल से देश भर में बैंक सेवाएं प्रभावित

यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक संघों मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने बुलायी है.

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पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय हुआ है.
नई दिल्ली:

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Bank) के लाखों कर्मचारियों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण (Privatisation) के विरोध में गुरुवार को दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी जिससे देश भर में बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा. ग्राहकों को हड़ताल की जानकारी देने के साथ भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों की कई शाखाएं गुरुवार को बंद रहीं. शुक्रवार को भी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक संघों मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने बुलायी है.

इस हड़ताल से शाखाओं में जमा और निकासी, चेक समाशोधन और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं प्रभावित हुईं. हालांकि, कई जगहों पर एटीएम सही तरह से काम कर रहे थे. एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम के मुताबिक गुरुवार को 18,600 करोड़ रुपये के 20.4 लाख चेक से जुड़ा लेनदेन नहीं हो सका. एसबीआई सहित सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया था कि हड़ताल के कारण उनकी शाखाओं में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.

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हालांकि एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य दिनों की तरह रहा. हालांकि अंतर-बैंक चेक समाशोधन प्रभावित हुआ. उधर, महाराष्ट्र में यूएफबीयू के राज्य समन्वयक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि मुंबई के आजाद मैदान में 5,000 बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया.

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उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक सभी वर्ग के अधिकारी हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. चेन्नई में बैंक कर्मचारियों के एक वर्ग ने काला बैज पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र के कदम के फैसले के खिलाफ नारे लगाए. वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर में बैंक कर्मचारियों ने अंबेडकर सर्किल के पास एसबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

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वेंकटचलम ने कहा, 'सरकारी बैंक सामान्य रूप से हमारे देश के आर्थिक विकास में और विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों तथा देश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं. उन्होंने कहा, 'सरकारी बैंकों ने कृषि, लघु व्यापार, लघु व्यवसाय, लघु उद्योग, छोटे पैमाने के उद्योगों (एसएसआई), परिवहन और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में एक अहम भूमिका निभायी है.'

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बैंकों के निजीकरण के विरोध में लाखों कर्मचारियों ने की हड़ताल, कांग्रेस ने संसद में उठाया मुद्दा

एआईबीओसी के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि देश भर में करीब सात लाख बैंक कर्मचारी दो दिन की हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के रवैये के कारण हो रहे हड़ताल से बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की एक लाख से अधिक शाखाओं का कामकाज प्रभावित हुआ है. वेंकटचलम ने कहा कि कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों ने हड़ताल का समर्थन किया है.

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गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है. सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है.

बैंकों के निजीकरण का विरोध, जंतर-मंतर पर जमा हुए बैंक कर्मचारी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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