देश में इस बार अब तक मानसून की सामान्य से पांच फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. देश के कुछ इलाकों में भारी बारिश हुई जिसके कारण जान-माल का नुकसान हुआ. पहले से ज्यादा तकनीक की उपलब्धता के कारण मौसम के बारे में जैसे भारी बारिश, खास इलाकों के बारे में पहले से अनुमान लगा पाने के कारण ऐसी आपदाओं के लिए तैयारी बेहतर हो पा रही है और जान- माल का नुकसान भी पहले से कम हो रहा है. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी.
किरेन रिजिजू मौसम भवन में उपलब्ध मौसम अनुमान के उपकरणों और बाकी तकनीकी जरूरतों और उपलब्धताओं का जायज़ा लेने के लिए पहुंचे. उन्होंने इसी साल 18 मई को इस मंत्रालय का पदभार संभाला है और तब से अलग-अलग जगहों पर मंत्रालय की सुविधाओं का जायजा ले रहे हैं.
रिजिजू ने कहा कि, मौसम और कम्युनिकेशन के लिए काम में लाए जाने वाले परिष्कृत उपकरणों को बनाने के लिए प्राइवेट- पब्लिक पार्टनरशिप होनी चाहिए. मौसम के बेहतर पुर्वानुमान के लिए डॉपलर राडार लगाए जा रहे हैं. अगले तीन सालों में इनकी संख्या 68 तक हो सकती है. सन 2014 से 2023 तक 22 नए डॉपलर राडार लगाए गए हैं जिससे इनकी संख्या अब बढ़कर 37 हो गई है.
उन्होंने कहा कि, इसरो (ISRO) सितंबर में कुछ और कम्युनिकेशन सैटेलाइट छोड़ेगा जिससे मौसम का पूर्वानुमान और बेहतर हो पाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में पूर्वानुमान 40-50 फीसदी बेहतर हुआ है. इसके कारण कुछ ही वक्त पहले आए तूफान ही नहीं बल्कि बारिश, हीट वेव, कोल्ड वेव, धुंध और आंधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान भी सटीक रहा था.
रिजिजू ने कहा कि, बेहतर पुर्वानुमान से जान-माल का नुकसान कम होता है. कई प्राइवेट ग्रुप भी मौसम का पुर्वानुमान जारी करते हैं. कुछ तो खुद ही आंकड़े जमा करते हैं, जबकि कुछ मौसम विभाग के आंकेड़े ही इस्तेमाल करते हैं. खुद आंकड़े जमा करने वाले कई बार सही आंकड़ा नहीं ला पाते.
रिजिजू ने कहा है कि व्यवसायिक संस्थान मौसम विभाग के साथ काम कर सकते हैं और आईएमडी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल पेमेंट के आधार पर कर सकते हैं.