ड्रोन से दागे जाने वाली मिसाइल का DRDO ने किया सफल परीक्षण, जानिए इसकी खासियत

देश में लगातार एक बाद एक डिफेंस सिस्टम्स का निर्माण हो रहा है. भारत को रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के मिशन का नेतृत्व रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO कर रहा है. अब DRDO ने एक और चौंका देने वाली कामयाबी हासिल कर ली है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
डीआरडीओ ने ड्रोन से मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • DRDO ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल में ड्रोन से दागी जाने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया.
  • यह मिसाइल यूएलपीजीएम-वी2 का उन्नत संस्करण है.
  • मिसाइल दिन और रात दोनों समय अपने लक्ष्य को टारगेट कर सकती है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ड्रोन से दागी जाने वाली एक मिसाइल का आंध्र प्रदेश में एक परीक्षण स्थल पर सफल परीक्षण किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यह परीक्षण कुरनूल में किया गया. राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘‘भारत की रक्षा क्षमताओं को एक बड़ी मजबूती देते हुए, डीआरडीओ ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल स्थित नेशनल ओपन एरिया रेंज (एनओएआर) में मानवरहित यान से दागे जाने वाली सटीक मारक क्षमता वाली मिसाइल (यूएलपीजीएम)-वी3 का सफल परीक्षण किया.'' यह मिसाइल पहले डीआरडीओ द्वारा विकसित यूएलपीजीएम-वी2 का उन्नत संस्करण है.

मिसाइल की खासियत

  • यह मिसाइल विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को भेद सकती है. 
  • इसे मैदानी इलाकों और ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों दोनों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • यह मिसाइल दिन और रात दोनों समय में लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है.
  • इसमें दो-तरफा डेटा लिंक है, जिससे प्रक्षेपण के बाद लक्ष्य अपडेट किया जा सकता है.
  • मिसाइल तीन मॉड्यूलर वारहेड से लैस है, जिसमें आधुनिक बख्तरबंद गाड़ियों को नष्ट करने के लिए बख्तरबंद रोधी प्रणाली है.

अदाणी डिफेंस का भी सहयोग

इस मिसाइल को एक मानवरहित वायु यान (यूएवी) से छोड़ा गया, जो कि बेंगलुरु की भारतीय स्टार्टअप ‘‘न्यूस्पेस रिसर्च टेक्नोलॉजीज' द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. डीआरडीओ अब इस हथियार प्रणाली को लंबी दूरी और अधिक समय तक उड़ाने वाले यूएवी से जोड़ने के लिए भी काम कर रहा है.  इस परियोजना में अदाणी डिफेंस, भारत डायनमिक्स लिमिटेड और लगभग 30 मध्यम एवं लघु स्टार्टअप्स ने सहयोग किया है.

इस मिसाइल में तीन प्रकार के मॉड्यूलर वारहेड विकल्प उपलब्ध हैं:

  • एंटी-आर्मर वारहेड — आधुनिक टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने की क्षमता, जिनमें रोल्ड होमोजीनियस आर्मर (RHA) और विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA) लगा होता है.
  • एंटी-बंकर वारहेड — किलेबंद ठिकानों और भूमिगत संरचनाओं को भेदने की विशेष क्षमता.
  • प्री-फ्रैगमेंटेशन वारहेड — क्षेत्र में अधिकतम प्रभाव के लिए उच्च विस्फोटक घातकता के साथ.

इस मिसाइल प्रणाली का विकास डीआरडीओ की प्रमुख प्रयोगशालाओं — अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI), रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL), टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL), उच्च-ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL), एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (DLRL) — के संयुक्त प्रयासों से किया गया है.

डीआरडीओ के अध्यक्ष एवं रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस सफलता पर सभी वैज्ञानिकों और भागीदारों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यूएवी-लॉन्च्ड स्मार्ट हथियारों का विकास न केवल समय की आवश्यकता है, बल्कि यह भविष्य की युद्धक्षमता को भी परिभाषित करेगा. 

Featured Video Of The Day
Aniruddhacharya Comment: अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान पर Harsha Richaria ने क्या कह दिया?