DRDO ने बनाया नया मैन-पोर्टेबल अंडरवॉटर व्हीकल, फौरन पता लगेंगी समुद्री सुरंगें

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर कामत ने MP-AUVs के सफल विकास पर एनएसटीएल की टीम को बधाई दी.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की विशाखापट्टनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लैबोरेटरी ने समुद्र में बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए नई पीढ़ी के मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल्स को तैयार किया है. इस आधुनिक प्रणाली में कई ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल्स शामिल हैं, जिनमें साइड-स्कैन सोनार और अंडरवॉटर कैमरे जैसे मुख्य सेंसर लगे हैं. ये उपकरण समुद्र में मौजूद माइंस जैसी संदिग्ध वस्तुओं का रीयल-टाइम पता लगाने में सक्षम हैं. इनमें लगे डीप-लर्निंग टारगेट रिकग्निशन एल्गोरिदम ऐसे खतरों की स्वायत्त पहचान करते हैं, जिससे ऑपरेटर का कार्यभार कम होता है और मिशन तेजी से पूरा होता है.

सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें मजबूत अंडरवॉटर अकॉस्टिक कम्युनिकेशन नेटवर्क जोड़ा गया है, जो ऑपरेशन के दौरान विभिन्न ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल्स को एक-दूसरे से डेटा साझा करने में सक्षम बनाता है. इससे मिशन के दौरान हालात की बेहतर और व्यापक जानकारी मिलती है.

प्रयोगशाला के हार्बर में हाल ही में हुए परीक्षणों में यह प्रणाली सभी अहम तकनीकी मानकों पर खरी उतरी. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि कई उद्योग साझेदार इस परियोजना के निर्माण में सहभागी हैं, और यह प्रणाली आगामी कुछ महीनों में उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगी.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर कामत ने MP-AUVs के सफल विकास पर एनएसटीएल की टीम को बधाई दी. उन्होंने इसे नौसैनिक माइंस-रोधी अभियानों के लिए एक त्वरित, अधिक सुरक्षित और नेटवर्क-सक्षम समाधान बताया. कामत ने कहा कि इससे नौसेना को तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता मिलेगी, ऑपरेशनल जोखिम घटेगा और लॉजिस्टिक बोझ भी कम होगा. 

Featured Video Of The Day
Sucherita Kukreti: Bangladesh में Hindus के कत्लेआम पर Yogi का अल्टीमेट | Bangladesh Violence
Topics mentioned in this article