Dr. Babasaheb Ambedkar Mahaparinirvan Diwas: संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर का आज महापरिनिर्वांण दिवस है. हर साल 6 दिसंबर को इनकी पुण्यतिथि के दिन चैत्यभूमि पर बड़ी संख्या में उनके अनुयायी उनकी समाधि के दर्शन करने आते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण महाराष्ट्र सरकार ने लोगों को घरों में ही रहकर ऑनलाइन दर्शन करने को कहा है. कोरोना के फिर से बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने लोगों से वहां ना आकर घर में ही बैठकर ऑनलाइन दर्शन करने का आवाहन किया है. हालांकि सरकार के इस आवाहन के बावजूद भी कुछ संगठनों ने चैत्यभूमि पर आने की घोषणा की है और काफी संख्या में लोग इस जगह पहुंचे.
Koo Appभारत रत्न से सम्मानित देश के संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर जी की पुण्यतिथि पर मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। अपना संपूर्ण जीवन उन्होंने सामाजिक समानता और न्याय के लिये समर्पित किया, तथा देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाया।- Piyush Goyal (@piyushgoyal) 6 Dec 2021
Koo Appसंविधान शिल्पी ”भारत रत्न” श्रद्धेय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के #महापरिनिर्वाण_दिवस पर शत-शत नमन। उनके विचारों ने भारत की सामाजिक-आर्थिक नीतियों और कानूनी ढांचों में प्रगतिशील बदलाव किए। स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के प्रयासों के लिए देश बाबा साहेब का सदैव कृतज्ञ रहेगा।- Om Birla (@ombirlakota) 6 Dec 2021
संगठनों की ओर से की गई इस घोषणा के चलते BMC ने जरूरी इंतजाम इस जगह पर किए हैं और पुलिस ने सुरक्षा पुख्ता कर दी है. इसी बची आज सुबह महाराष्ट्र के राज्यपाल, मेयर और कई मंत्रियों ने चैत्यभूमि पहुंचकर पुष्प अर्पण किए.
Koo Appमहान विधिवेत्ता, सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर, भारत के सर्वसमावेशी संविधान के शिल्पकार, 'भारत रत्न' बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। राष्ट्र निर्माण एवं समतामूलक समाज की स्थापना हेतु आपके कार्य सभी के लिए महान प्रेरणा हैं।- Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 6 Dec 2021
डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि को हर साल महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है और चैत्यभूमि पर आकर लोग भीमराव आंबेडकर को नमन करते हैं और फूल अर्पित करते हैं. गौरतलब है कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने हमारे संविधान की रचना की थी.
इनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश में हुआ था. वहीं 6 दिसंबर, 1956 में 65 साल की आयु में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली थी. साल 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान दिया गया था.