नीति आयोग के सदस्य और अर्थशास्त्री डॉ. अरविन्द विरमानी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (Bilateral Trade Agreement) के पहले अंश पर अगर सहमति बनती है तो इससे भारत को विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के सेक्टर में एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करने में काफी मदद मिलेगी.
डॉ. विरमानी का बयान वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील का पहला चरण नवंबर तक फाइनल हो सकता है, दोनों देशों के बीच इस दिशा में चर्चा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्ष अब तक की प्रगति से संतुष्ट हैं.
विरमानी मानते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय देश बड़ी मात्रा में मैन्युफैक्चर गुड्स का आयात करते हैं, ऐसे में अमेरिका के साथ बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के नए रास्ते खुलेंगे.
एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में डॉ. विरमानी ने कहा कि भारत में जिस तरह से मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है और एप्पल कंपनी ने आईफोन का प्रोडक्शन बेस भारत में बनाया है यह इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है.
उनका आंकलन है कि इस समझौते से अमेरिका को चीनी बाजार पर निर्भरता को कम करने में भी मदद मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिका के लिए भारत एक वैकल्पिक मार्केट के तौर पर उपलब्ध होगा. इससे Textile और चमड़ा निर्यात क्षेत्रों में मौजूद संभावनाओं को व्यापक बनाने के लिए नए अवसर भी खुलेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 27 अगस्त, 2025 से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले से दोनों देशों में तल्खी काफी बढ़ गयी थी. हालांकि, 10 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और भारत दोनों देशों के बीच "व्यापार बाधाओं" को दूर करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका हमारे दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रख रहे हैं. मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे दोस्त, प्रधान मंत्री मोदी के साथ बात करने के लिए उत्सुक हूं. मुझे यकीन है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी."
GST 2.0 से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था की रफ़्तार!
डॉ. विरमानी का आंकलन है की मौजूदा वित्त वित्तीय साल के दौरान जीडीपी की रफ्तार 6.5 फ़ीसदी (± 0.5%) के आसपास रहेगी. विरमानी ने एनडीटीवी से कहा, "मेरा आंकलन है कि GST व्यवस्था में जो बड़े सुधार किए गए हैं और GST रेट को बड़े स्तर पर घटाने के फैसले से Tariff को लेकर जो अनिश्चितता है उसके नकारात्मक असर से निपटने में मदद मिलेगी".
मुझे उम्मीद है कि उपभोग का स्तर महामारी-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा. इससे देश में व्यापार करने में आसानी भी बढ़ेगी और व्यापार की लागत कम करने में मदद मिलेगी. इससे नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा जिससे विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इससे जीएसटी अनुपालन बढ़ेगा और जीएसटी आधार को व्यापक बनाने में मदद मिलेगी.