तेरी मिट्टी में मिल जावां.. इंजीनियर बन लाइफ सेट थी, लेकिन चुनी फौज, देश पर कुर्बान कैप्टन बृजेश की कहानी

Jammu Kashmir Martyr life : देश को दुश्मनों से बचाकर अपने नागरिकों को चैन और शांति से जीने देने के लिए हमारी सेना एक से बढ़कर एक बलिदान देती है. ब्रजेश थापा और उनके परिवार को जानकर आपको सेना और उनके बलिदान पर गर्व होगा...

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Jammu Kashmir Martyr life : बृजेश थापा के माता-पिता के दुख को समझना हर किसी के वश में नहीं है.

जम्मू-कश्मीर के डोडा (Doda Encounter) में आतंकवादियों का मुकाबला करते सैन्य अधिकारी कैप्टन बृजेश थापा अपने अन्य साथियों के लिए कुर्बान हो गए. इस बात की सूचना जब उनके पिता को दी गई तो उनका जवाब था, "मुझे अपने बेटे पर गर्व है." मां ने कहा, दुखी हूं, लेकिन बेटे पर गर्व है." बेटे के चले जाने का दुख किसी भी माता-पिता के लिए सबसे बड़ा होता है, लेकिन यह माता-पिता अलग हैं और इनकी संतान भी अलग थी. जिगर के टुकड़े के चले जाने की खबर पर भी माता-पिता ने जिस तरह से खुद को संभाला, वह मिसाल है.      

सेना दिवस के दिन जन्मे थे कैप्टन

कैप्टन बृजेश थापा के पिता सेवानिवृत्त कर्नल भुवनेश के. थापा हैं. अब आप समझ ही चुके होंगे कि बृजेश थापा के पिता भी फौज में थे. कर्नल भुवनेश के. थापा ने याद करते हुए बताया कि उनका बेटा उनसे प्रेरित था और बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होना चाहता था. बृजेश थापा का जन्म 15 जनवरी को हुआ था और इस दिन को सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है. कर्नल ने बताया कि डोडा में एक सैन्य अभियान चलाया गया था और इस तरह के अभियान में हमेशा जोखिम रहता है. जोखिम चाहे जो भी हो, सेना के जवानों को ईमानदारी से काम करना चाहिए. मेरे बेटे ने इस तरह के जोखिम भरे अभियान में ईमानदारी से लड़ाई लड़ी.

इसलिए सेना में शामिल हुए

कर्नल थापा ने आगे बताया कि बृजेश एक इंजीनियर थे, लेकिन उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला लिया. यह उसका अपना फैसला था. वह सेना और देश से बहुत प्यार करता था. बचपन से ही उसे सेना पर गर्व रहता था. बृजेश ने उनसे आखिरी बार 14 जुलाई को फोन पर उनसे बात की थी. शहीद अधिकारी की मां नीलिमा ने अपने आंसू रोकते हुए कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि उन्होंने देश के लिए इतना कुछ किया, लेकिन यह बहुत बड़ी क्षति है, इसलिए मैं दुखी भी हूं. कर्तव्य तो कर्तव्य है. एक बार जब आपने वर्दी पहन ली, तो आप पीछे नहीं हट सकते.''

Advertisement

मां की यह बात दिल छू लेगी

शहीद सैन्य अधिकारी की मां ने कहा कि देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवान ही हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि नागरिक सुरक्षित रहें. उन्होंने बताया कि बृजेश सेना की 145वीं एयर डिफेंस रेजिमेंट से थे और 10वीं राष्ट्रीय राइफल्स में प्रतिनियुक्ति पर तैनात थे. नीलिमा ने बताया कि बागडोगरा में पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद बुधवार सुबह बृजेश का पार्थिव शरीर लेबोंग स्थित उनके पैतृक घर ले जाया जाएगा. 

Advertisement

सेना ने क्या कहा

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार शाम शुरू हुई बृजेश सहित सेना के चार जवान और एक स्थानीय पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के सभी जवान कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए डोडा में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए प्राणों की आहुति दे दी. भारतीय सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है."

Advertisement

रक्षामंत्री ने क्या कहा

जानकारी के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े 'कश्मीर टाइगर्स' ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से बात की और जमीनी हालात तथा चल रहे अभियान के बारे में जानकारी ली. राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, "डोडा (जम्मू-कश्मीर) के उरारबागी में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में भारतीय सेना के हमारे बहादुर जवानों की शहादत पर काफी शोकाकुल हूं. मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। अपने कर्तव्य के निर्वहन में जान न्यौछावर करने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ पूरा देश खड़ा है." उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है. हमारे सैनिक क्षेत्र में आतंकवाद को समाप्त करने और शांति-व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Parliament Session: संसद परिसर में प्रदर्शन के दौरान किसने किसको धक्का मारा? | Muqabla