भारत अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक डॉकिंग करने वाला चौथा देश बन गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस सफलता की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक शानदार वीडियो भी जारी किया है, जिसमें डॉकिंग की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया गया है.
इसरो के मिशन कंट्रोल रूम से एक वीडियो जारी कर यह बताया गया है कि इस मिशन को किस तरह सफलता तक पहुंचाया गया. वीडियो में इसरो के वैज्ञानिकों ने मिशन की सफलता की पूरी कहानी साझा की.
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि डॉकिंग में सफलता हासिल कर लिया गया है. यह अनुभव काफी अच्छा रहा है. यह 2025 का सफल मिशन रहा. डॉकिंग के बाद एक ही वस्तु के रूप में दो उपग्रहों पर नियंत्रण स्थापित करने की प्रक्रिया भी सफल रही. आने वाले दिनों में ‘अनडॉकिंग' और ‘पावर ट्रांसफर' परीक्षण किया जाएगा.
भारत के इस मिशन को आसान भाषा में समझें
ऑरबिट में दो उपग्रह हैं. उन्हें आपस में लाकर जोड़ने के लिए एक प्रॉक्सिमीटी ऑपरेशन की जरूरत होती है. सिग्नल के पास जाकर उसे कैच कराना होता है और उसको रिडिजाइन करना होता है. जैसे सुनीता विलियम्स धरती से अंतरिक्ष क्रू लाइनर में गईं और स्पेस स्टेशन में प्रवेश किया. ऐसे ही भारत को शील्ड यूनिट बनाना है और इसके लिए डॉकिंग की जरूरत है.
भारत ने 30 दिसंबर को अपने सबसे भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी C60 के जरिए 24 पेलोड्स के साथ-साथ दो छोटे यानों को अंतरिक्ष में भेजा. ये थे SDX01 जो Chaser था और SDX02 जो टारगेट था. इन्हें SpaDeX मिशन के तहत भेजा गया. चेजर यानी वो यान जिसे आगे उड़ रहे टारगेट यान का पीछा कर उसे अपनी जकड़ में लेना था. अंतरिक्ष में 220 किलोग्राम वजनी इन दोनों उपग्रहों के आलिंगन पर पूरी दुनिया की निगाहें थीं, लेकिन ये इतना आसान नहीं था. दोनों उपग्रह धरती से 475 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में छोड़े गए जहां उन्होंने एक दूसरे से सुरक्षित दूरी पर पृथ्वी का चक्कर लगाना शुरू कर दिया और इसरो का मिशन सफल हो गया.