जनसंख्या काबू करने वाले राज्यों को सज़ा देना होगा...; परिसीमन के मुद्दे पर DMK सांसद

पी विल्सन ने कहा कि कुछ राज्यों ने परिवार नियोजन नीतियों को अपनाया, जबकि अन्य ने इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण उनकी आबादी अनियंत्रित हो गई. ऐसे में परिसीमन को लागू करने का मतलब आबादी नियंत्रित करने वाले राज्यों को सज़ा देने जैसा होगा.

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जनसंख्या काबू करने वाले राज्यों को सज़ा देना होगा...; परिसीमन के मुद्दे पर DMK सांसद
परिसीमन के तहत दक्षिणी राज्य में सीट घटने का अनुमान
नई दिल्ली:

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सांसद पी विल्सन ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि मौजूदा समय में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन लागू करना उन राज्यों के लिए अन्याय होगा, जिन्होंने जनसंख्या पर काबू पाया. उनके मुताबिक, यह कदम जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों को दंडित करेगा और इसमें नाकाम रहे राज्यों को फायदा पहुंचाएगा. शून्यकाल के दौरान विल्सन ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक समग्र परिसीमन नीति की मांग की.

जनसंख्या नियंत्रण में असमानता की कहानी

विल्सन ने बताया कि 1952, 1962 और 1972 में जनगणना के बाद परिसीमन हुआ था, ताकि सभी राज्यों का उचित प्रतिनिधित्व हो. लेकिन कुछ राज्यों ने परिवार नियोजन को गंभीरता से लिया, जबकि अन्य ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे उनकी आबादी बेलगाम बढ़ी. 42वें संवैधानिक संशोधन ने 1971 की जनगणना के आधार पर 25 साल तक परिसीमन टाला, जो 2000 में 2026 तक बढ़ा दिया गया. इसका मकसद जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना था. फिर भी, तमिलनाडु (1.7) और केरल (1.8) जैसे राज्यों ने प्रजनन दर को सीमित किया, जबकि उत्तर प्रदेश (2.4) और बिहार (3.0) में जनसंख्या वृद्धि जारी है.

परिसीमन का संभावित 'आपदा' परिणाम

विल्सन ने कहा कि 2026 में परिसीमन की रोक हटाने का मूल तर्क अब सही नहीं लगता. अगर यह लागू हुआ, तो तमिलनाडु जैसे राज्य, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रित की, उन्हें नुकसान होगा. उन्होंने अनुमान लगाया कि 2026 की जनगणना के आधार पर राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को 150 से ज्यादा अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं, जबकि दक्षिणी राज्य—तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना—केवल 35 सीटें ही पा सकेंगे. अगर मौजूदा 543 सीटें पुनर्वितरित हुईं, तो तमिलनाडु को 8 सीटों का नुकसान और उत्तर प्रदेश-बिहार को 21 सीटों का फायदा होगा.

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राजनीतिक ताकत पर मंडराता खतरा

द्रमुक सांसद ने कहा कि यह बदलाव उन राज्यों के खिलाफ होगा, जिन्होंने राष्ट्रीय परिवार नियोजन नीति को अपनाया. इससे तमिलनाडु जैसे राज्यों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व और ताकत कम होगी, जबकि परिवार नियोजन से मुंह मोड़ने वाले राज्य लाभ में रहेंगे. विल्सन ने सवाल उठाया, “हमें अपना हक और राजनीतिक लाभ क्यों गंवाना पड़े? जो राज्य राष्ट्रीय सोच के साथ चले, उनके खिलाफ यह राजनीतिक तख्तापलट क्यों?”

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समग्र दृष्टिकोण की जरूरत

विल्सन ने संसद से आग्रह किया कि परिसीमन को सिर्फ आंकड़ों का खेल न बनाया जाए. उनके मुताबिक, यह नीति उन राज्यों के लिए 'आपदा' बन सकती है, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता पाई. उन्होंने कहा, “हमें ऐसी व्यवस्था चाहिए जो मेहनत करने वालों को सजा न दे और नाकामियों को इनाम न बांटे.” यह मुद्दा संसद में गहरी बहस की मांग करता है, ताकि सभी राज्यों के साथ न्याय हो सके.

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