Diwali Special Story: पश्चिम बंगाल में कोलकाता में जलती चिता के बीच काली पूजा की जाती है. कोलकाता में 155 सालों से अनोखी परंपरा चली आ रही है. कोलकाता महाश्मशान में काली मां की ऐसी मूर्ति ऐसी है, जिसमें उनकी जीभ मुंह के अंदर है. अभी तक हमने मां काली की बाहर निकली जीभ वाली तस्वीरें ही दिखी हैं. यहां पंडाल में चिता रखी जाती है. दिवाली के दिन कोलकाता में बड़े श्मशान केवड़ातला में इसका आयोजन होना है. यहां कालीघाट मंदिर के पास श्मशान में 24 घंटे चिताएं जला करती हैं.
डोम संप्रदाय के लोग महाश्मशान में इस आयोजन की पूरी जिम्मेदारी संभालते हैं. श्मशान में कोई चिता नहीं आने तक देवी काली को भोग नहीं चढ़ाते. काली मां की मूर्तियों में 8 से 12 हाथ होते हैं, लेकिन यहां काली पूजा की मूर्ति में सिर्फ दो हाथ ही रहते हैं. जलती चिताओं के बीच ही यहां सबसे बड़ी पूजा होती है और इसकी शुरुआत 1870 में कपाली ने की थी. यहां चीनी समुदाय के लोग भी काली मां की पूजा करते हैं. मंदिर में नारायण शिला के कारण चढ़ने वाला भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है. वैसे कोलकाता समेत बंगाल की काली पूजा में मांस का भोग चढ़ाने की परंपरा है.
मक्खन से दीये जलाने की परंपरा
अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका ऐसा है, जहां दीपावली पर मक्खन के दीये जलाने की परंपरा है. यहां पटाखे तो नहीं फोड़े जाते हैं, लेकिन लकड़ी के लैंप और हर्बल पटाखों से रोशनी की जाती है. तवांग में दिवाली पर पूजा के साथ बटर लैंप जलाने की परंपरा है. मोनपा जनजाति के लोग और बौद्ध अनुयायी अपने घरों और मठों में मक्खन के दीये जलाते हैं.
केरल में लकड़ी का दीप स्तंभ
केरल के कासरगोड जिले में एक विशेष वृक्ष एजिलम पाला की 7 टहनियों से लकड़ी का विशेष दीप स्तंभ पोलिएंथ्रम पाला बनाते हैं, तुलू भाषी समुदाय के लोग ये त्योहार मनाते हैं, जिसे पोलएंथ्रा कहते हैं. यहां के शास्ता मंदिरों में दिवाली पर बलि पूजा की जाती है. इसे घर के आंगन में या खुली जगह पर लगाकर सजाया जाता है.
सिक्किम में कौवे-कुत्ते और गाय-बैल की पूजा
सिक्किम में दीपावली के अवसर पर कौवे, कुत्ते, गाय और बैल की पूजा होती है. पांच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव को तिहार नाम से माना जाता है. नेपाल के गोरखा समुदाय के लोग खास तौर पर ये त्योहार मनाते हैं. यह मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना से जुड़ा त्योहार है. तिहार में पूर्वजों, पशु और देवता को याद कर उन्हें सम्मान दिया जाता है. नेपाल में भी पूरे धूमधाम से कुत्ते की पूजा इस त्योहार पर होती है.
गोवा में रावण दहन की तरह नरकासुर वध और पुतला दहन
गोवा के ज्यादातर इलाकों में दशहरे में रावण दहन की तरह नरकासुर वध का आयोजन किया जाता है. इसमें नरकासुर के विशाल पुतले बनाने के साथ उनका दहन किया जाता है. हजारों की भीड़ ऐसे उत्सव में जुटती है. पुतलों को दशहरे में रावण की तरह लकड़ी, कागज, रंग और आतिशबाजी के साथ तैयार किया जाता है.