चचेरे भाई ने ही रची थी साजिश, पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या केस में SIT का सनसनीखेज खुलासा

एसआईटी नोट के अनुसार 1 जनवरी को मुकेश को रितेश ने खाना खाने के बहाने शेड में बुलाया. वहां उसे पीटा गया, गला घोंटा गया और फिर चाकू से हमला किया गया. बाद में शव को सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया.

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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी जांच में यह कहा कि मुकेश चंद्राकर की हत्या उनके चचेरे भाइयों ने की थी. एसआईटी के अनुसार, हत्या के पीछे का कारण सड़क निर्माण ठेकों में भ्रष्टाचार था, जिस पर मुकेश चंद्राकर अपनी रिपोर्टिंग कर रहे थे. जांच में यह भी सामने आया कि जिन ठेकों में भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग हो रही थी, उनमें से कुछ ठेके उनके चचेरे भाइयों से जुड़े हुए थे.

एसआईटी ने बताया कि मुकेश ने अपने चचेरे भाइयों से जुड़े सड़क निर्माण ठेकों में भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जिसके कारण सुरेश के खिलाफ जांच शुरू हुई थी. इससे सुरेश, रितेश, दिनेश और महेंद्र नाराज हो गए और उन्होंने मिलकर मुकेश की हत्या की योजना बनाई थी.

एसआईटी नोट के अनुसार 1 जनवरी को मुकेश को रितेश ने खाना खाने के बहाने शेड में बुलाया. वहां उसे पीटा गया, गला घोंटा गया और फिर चाकू से हमला किया गया. बाद में शव को सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया, जिसे सीमेंट से सील कर दिया गया. हत्या के बाद मुकेश के फोन तोड़े गए और उन्हें तुमनार नदी में फेंक दिया गया ताकि सबूत नष्ट किए जा सकें.

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एसआईटी ने यह भी बताया कि सुरेश को महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पुलिस की सहायता से 5 जनवरी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. एसआईटी ने डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण करने के लिए AI और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (ओएसआईएनटी) जैसे उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल किया.

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महेंद्र रामटेके रितेश चंद्राकर का सुपरवाइजर था. दोनों साथ में ही सुरेश चंद्राकर के साथ ठेकेदारी का काम चलते थे. पुलिस को महेंद्र रामटेके के बारे में जानकारी मिलने के बाद उसे तुरंत पकड़ने की कोशिश शुरू हुई. उसे बीजापुर के नए बस स्टैंड के पास से हिरासत में ले लिया गया. पूछताछ में उसने अपना गुनाह मान लिया. घटना की पूरी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. सेप्टिक टैंक की खुदाई के लिए प्रशासनिक अधिकारी, नगर पालिका के कर्मचारियों और फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया.

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