Diamond Gold Price: सोने का भाव एक लाख 30 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार कर गया है. हर आदमी के बस की बात नहीं रही कि वो सोने के आभूषण खरीद सके. ऐसे में ग्राहकों के लिए डायमंड ज्वेलरी भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है. इसकी रेंज भी सोने के गहनों के मुकाबले काफी कम कीमत पर शुरू होती है. डायमंड ज्वेलरी में रिंग्स, ब्रेसलेट या सिंगल लाइनर गले के आभूषणों की डिमांड बढ़ी है, जिसमें डायमंड की मात्रा ज्यादा हो, गोल्ड कम हो और वो यूनीक दिखती हो.
डायमंड ज्वेलरी की वैराइटी
एक्सपर्ट की मानें तो डायमंड रिंग की वैराइटी 25-30 हजार से शुरू होती है, आप बजट के हिसाब से 50 हजार की वैराइटी वाली ज्वेलरी भी चुन सकते हैं. इसी तरह डिजाइन, कट और क्लैरिटी के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ती जाती है. जीसी डायमंड प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर और रत्न आभूषण विशेषज्ञ क्षितिज गुप्ता का कहना है कि आज की जनरेशन गोल्ड की आसमान छूती कीमतों की वजह से नई जेनरेशन डायमंड विद गोल्ड के के गहनों की चाहत बढ़ी है.
हीरे की गुणवत्ता कैसे आंके
गुप्ता का कहना है कि डायमंड क्वालिटी को 4 कसौटी पर परखा जाता है, जिसे 4 C कहते हैं. इसमें कलर, क्लैरिटी, कट और कैरेट होता है. लेकिन इसका कैरेट गोल्ड की प्योरिटी से अलग है. ये डायमंड की वेट यूनिट है.
हीरा कितना खरा है, कैसे पता करें
एक्सपर्ट के अनुसार, डायमंड में हॉलमार्क नहीं होता है. लेकिन दुकानदार तो अपने स्तर पर आपको जो भरोसा देता है, उसके अलावा आप किसी भी सर्टिफाइड टेस्टिंग लैब में जाकर ये चेक करवा सकते हैं कि ये रॉ डायमंड से बनी ज्वेलरी है या लैब में बना हीरा तो नहीं है. दूसरा प्वाइंट ये है कि लैब डायमंड ज्वेलरी प्रमाणित करती हैं. ऐसी लैब में ग्रेडर्स कलर, कटिंग और डिजाइन के हिसाब से आपको बता देंगे कि हीरा कितना खरा है.
क्या डायमंड भी लांगटाइम इनवेस्टमेंट है
गुप्ता का कहना है कि हीरा सोने की तरह निवेश नहीं है, गोल्ड करेंसी का विकल्प है और इससे दुनिया चल रही है. लिहाजा वो निवेश का पैमाना है. लेकिन डायमंड समृद्धि का प्रतीक है. ये आपकी शोभा बढ़ाता है.
नई पीढ़ी की सोच
शादी ब्याह में नई पीढ़ी क्या गोल्ड या डायमंड खरीद रही है. इस सवाल पर एक्सपर्ट का कहना है कि GEN-Z आभूषणों में यूनीकनेस और एलीगेंस चाहते हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ गोल्ड की जगह यूनीक डायमंड ज्वेलरी का क्रेज बढ़ रहा है.
क्या खराब हो जाती है डायमंड ज्वेलरी?
डायमंड ज्वेलरी की ड्यूरेबिलिटी (कब तक खराब नहीं होगी) की बात करें तो हम सबने सुना है कि हीरा है सदा के लिए. आज भी 50-60 साल पुरानी ऐसी ज्वेलरी लेकर ग्राहक आते हैं और वो वैसे ही हूबहू दिखती है, जब तक उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया हो. अच्छे तरीके से रखरखाव है तो इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता. इसे क्लीनिंग या रीशेप कराने की जरूरत नहीं पड़ती.
डायमंड ज्वेलरी का मेकिंग चार्ज
सोने के गहने के मुकाबले डायमंड ज्वेलरी के मेकिंग चार्ज के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि मेकिंग चार्ज मेटल की कीमत पर निर्भर करती है. अगर सोना आज 1 लाख 30 हजार प्रति 10 ग्राम के करीब है. लिहाजा जब कारीगर उससे कोई ज्वेलरी बनाएगा तो जो भी वेस्टेज जाएगा, वो उसी कीमत पर होगा. उसका ज्यादा चार्ज कटेगा. पॉलिशिंग वगैरा की भी कास्ट इसमें जुड़ती है. यह गोल्ड पर प्रति ग्राम 750 रुपये से 1000-1200 रुपये तक हो सकती है. बहुत ज्यादा यूनीक क्वालिटी वाली ज्वेलरी पर मेकिंग कास्ट ज्यादा होती है.