पार्किन्सन्स के खिलाफ कारगर साबित हुई डायबिटीज़ की दवा : शोध

पार्किन्सन्स (Parkinson's Disease) के इलाज के लिए शोधकर्ता की रुची जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट नामक दवाओं के एक वर्ग में हैं - जो आंत के हार्मोन की नकल करते हैं और आमतौर पर मधुमेह और मोटापे के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
अब तक, रोगियों में ​​लाभ के प्रमाण सीमित हैं.

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में बुधवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि मधुमेह (Diabetes) का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा ने पार्किन्सन्स (Parkison's) की प्रगति को धीमा कर दिया है. दरअसल, पार्किन्सन्स एक नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है, जो दुनियाभर में 10 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है और अब तक इसका कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी में लोगों को कंपकंपी होना, धीमी गति से चलना, बिगड़ा हुआ भाषण और संतुलन बनाए रखने में परेशानी होना आदि लक्षण शामिल हैं, जो वक्त के साथ बदतर होते जाते हैं.

शोधकर्ता की रुची जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट नामक दवाओं के एक वर्ग में हैं - जो आंत के हार्मोन की नकल करते हैं और आमतौर पर मधुमेह और मोटापे के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं. साथ ही ये दवा न्यूरॉन्स की रक्षा करने क्षमता भी रखती है. हालांकि, अब तक, रोगियों में ​​लाभ के प्रमाण सीमित हैं.

अध्ययन में, शुरुआती चरण के पार्किन्सन्स के 156 रोगियों को फ्रांस भर में भर्ती किया गया था और फिर उन्हें या तो लिक्सीसेनटाइड दवा, जो एडलीक्सिन और लाइक्सुमिया ब्रांड नेम के तहत बेची जाती हैं और इसे सनोफी या प्लेसबो के लिए चुना गया. एक साल तक सभी रोगियों से फॉलोअप के बाद सामने आया कि इंजेक्शन के रूप में लेने जाने वाली इस दवा से उनके लक्षणों में न ही कोई सुधार हुआ और न ही वो पहले से ज्यादा बिगड़े. वहीं जिन लोगों ने प्लेसबो लिया था, उनमें लक्षण पहले के मुकाबले बिगड़ गए.

Advertisement

टूलूज़ विश्वविद्यालय के एक न्यूरोलॉजिस्ट वरिष्ठ लेखक ओलिवर रास्कोल ने एएफपी को बताया कि पेपर के अनुसार प्रभाव "मामूली" है, और केवल तभी ध्यान देने योग्य है जब पेशेवरों द्वारा रोगियों को "काम करने, चलने, खड़ा होने, हाथ हिलाने आदि" कार्यों को करने की सलाह दी गई. लेकिन, उन्होंने कहा, ऐसा सिर्फ इसलिए हो सकता है क्योंकि पार्किन्सन्स रोग धीरे-धीरे बिगड़ता है, और केवल एक साल में इसे लेकर अधिक जानकारी सामने नहीं आ सकती है. इस वजह से एक और साल तक फॉलो अप किए जाने की जरूरत है. तभी बीमारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो पाएगी.

Advertisement

रास्कोल ने कहा, "यह पहली बार है कि हमारे पास स्पष्ट परिणाम हैं, जो दर्शाते हैं कि बीमारी के लक्षणों की प्रगति पर हमारा प्रभाव था और हम इसे न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव से समझाते हैं."

Advertisement

यह भी पढ़ें : डायबिटीज के 7 असामान्य लक्षण, पहचानने में डॉक्टर भी खा सकते हैं धोखा, क्या जानते हैं आप?

Advertisement

यह भी पढ़ें : डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए किचन में मौजूद इस चीज का ऐसे करें सेवन, ब्लड शुगर भी रहेगा...

Featured Video Of The Day
Sriram Krishnan News: कौन हैं श्रीराम कृष्णन, जिन्‍हें Donald Trump ने सौंपी AI की कमान | America
Topics mentioned in this article