हाथरस के जिस सत्संग में गई थी 121 लोगों की जान, उसके मुख्य आयोजक को पुलिस ने दिल्ली से किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपी मधुकर की गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.

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घटना के बाद दिल्ली भाग गया था मुख्य आरोपी
नई दिल्ली:

हाथरस में दो जुलाई को एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ के मामले में मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर इस घटना के बाद दिल्ली भाग गया था और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे शुक्रवार देर रात अपनी हिरासत में ले लिया.  हाथरस में मची भगदड़ की इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी. मधुकर के वकील ए पी सिंह ने शुक्रवार देर रात दावा किया था कि उनके मुवक्किल ने दिल्ली में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मधुकर को हाथरस पुलिस के ‘स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप' (एसओजी) की टीम ने हिरासत में लिया.

हाथरस में एक अन्य पुलिस अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘‘उसे (मधुकर को) नजफगढ़ इलाके के पास दिल्ली से हिरासत में लिया गया. घटना के सिलसिले में हाथरस के सिकंदरा राऊ पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी में वह एकमात्र नामजद आरोपी है.

मधुकर के वकील ए पी सिंह ने एक वीडियो संदेश में दावा किया था कि उनके मुवक्किल ने दिल्ली में आत्मसमर्पण कर दिया है, जहां उसका इलाज जारी है. सिंह ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘हमने हाथरस मामले में दर्ज प्राथमिकी में मुख्य आरोपी बताए जा रहे देवप्रकाश मधुकर का आज आत्मसमर्पण करा दिया है. उसका यहां इलाज चल रहा था इसलिए पुलिस, एसआईटी और एसटीएफ को दिल्ली बुलाया गया.''

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वकील ने कहा, ‘‘हमने वादा किया था कि हम अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दायर नहीं करेंगे क्योंकि हमने कुछ गलत नहीं किया है. हमारा अपराध क्या है? वह एक इंजीनियर और हृदय रोगी हैं. चिकित्सकों ने कहा कि उनकी हालत अब स्थिर है और इसलिए हमने जांच में शामिल होने के लिए आज आत्मसमर्पण कर दिया.''

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उत्तर प्रदेश पुलिस ने मधुकर की गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.

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इस मामले में बृहस्पतिवार तक ‘भोले बाबा' के सत्संग की आयोजन समिति की दो महिला सदस्यों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस मामले में दो जुलाई को भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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