महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को साथ आने का खुला ऑफर दिया है. विधान परिषद में भाषण देते हुए फडणवीस ने मुस्कुराते हुए उद्धव ठाकरे को कहा कि इधर आना हो तो विचार कीजिए. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठी में अपने भाषण में कहा, देखिए उद्धव जी, 2029 तक तो हमारा वहां (विपक्ष) आने का स्कोप नहीं है. लेकिन आपको इधर आना हो तो विचार कीजिए. आप पर निर्भर है..अम्बादास दानवे (उद्धव गुट नेता) कहीं भी हों (पक्ष या विपक्ष) लेकिन उनके असली विचार हिंदुत्ववादी हैं.
उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात के बाद सदन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस सीधे प्रस्ताव को महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा कदम माना जा रहा है. नेता विपक्ष के विदाई समारोह के भाषण के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ये प्रस्ताव दिया.
भाजपा की ओर से उद्धव ठाकरे को ये पेशकश बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव के कुछ महीनों पहले की गई है. बीएमसी पर अभी शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का ही कब्जा था. पिछली बार चुनाव में बीजेपी और शिवसेना की सीटें करीब-करीब बराबर थीं.
उद्धव ठाकरे ने हाल ही में अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के साथ मिलकर महाराष्ट्र के स्कूलों में हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने के फैसले का बड़ा विरोध किया था. दोनों भाई 20 साल के सियासी मतभेद को भुलाकर एक मंच पर आए थे. हालांकि शिवसेना भी मनसे की उत्तर भारतीयों के तीखे विरोध से सहज नहीं है. दोनों दलों के बीच राजनीतिक गठबंधन की संभावना भी अब खटाई में पड़ती नजर आ रही है.
हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट का सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ आना आसान नहीं है. शिवसेना शिंदे गुट के साथ उन्हें साथ लेना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी. गौरतलब है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तक बीजेपी और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना साथ थी. लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं. उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दल कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी से हाथ मिलाया.
महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार अस्तित्व में आई. हालांकि करीब ढाई साल बाद शिवसेना में टूट के साथ एकनाथ शिंदे की अगुवाई में अलग दल बना. बीजेपी ने गठबंधन में उन्हें मुख्यमंत्री पद देकर बड़ा दांव खेला. 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ भारी बहुमत से सरकार बनाकर सत्ता में वापसी की.