देव दीवाली 2022 : वाराणसी में शानदार सजावट, दीपों की रोशनी से आज जगमगाएंगे घाट 

देव दीवाली को देवताओं की दीवाली कहा जाता है, जो दीवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन दीपदान की परंपरा है. 

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देव दीवाली को देवताओं की दीवाली कहा जाता है.
वाराणसी:

देव दीवाली (Dev Diwali 2022) का पर्व मनाने के लिए काशी के घाट सजने लगे हैें. देव दीवाली की पूर्व संध्या पर लाइट और झालरों से घाटों को सजाया गया है. आज वाराणसी (Varanasi) के सभी 84 घाटों पर एक साथ असंख्य दीपक जगमगाएंगे. जिसकी छटा बेहद निराली होगी. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. देव दीवाली को देवताओं की दीवाली कहा जाता है, जो दीवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन दीपदान की परंपरा है. 

इसके पीछे मान्यता है इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिससे प्रसन्न होकर देवताओं ने शिव की नगरी काशी में देव दीवाली मनाई थी. हालांकि कार्तिक के पूरे महीने में दीपक जलाने की मान्यता है. 

देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी और शालिगराम विवाह के मौके पर भी दीए जलाए जाते हैं. उस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु चातुर्मास के बाद शयन से जागते हैं और उसके बाद सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

यही कारण है कि कार्तिक के महीना को हिंदू मान्यताओं के अनुसार बेहद पवित्र महीना माना जाता है. कहा जाता है कि इस महीने में दीपक प्रज्वलित करने से अक्षय पुण्य मिलता है. 

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