महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण की मांग हो रही है. अजित पवार की एनसीपी मुस्लिम आरक्षण की मांग कर रही है. देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में अजित पवार गुट पार्टी एनसीपी 4 सीटों पर लड़ी, जिसमें सिर्फ 1 ही सीट पर ही जीत पाई है. ऐसे में पार्टी मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के लिए सरकार से महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण की मांग कर रही है.
देखा जाए तो एक तरफ़ मराठा आरक्षण की आग फिर सुलग रही है. मनोज ज़रांगे के अनशन ने राजनीतिक दलों के पसीने छुड़ाने शुरू कर दिये हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम आरक्षण की माँग चल पड़ी है. सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति की सहयोगी दल एनसीपी अजीत पवार गुट ही अब सरकार को आंख दिखा रही है.
उन्होंने कहा, “अगर एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगु देशम पार्टी-टीडीपी, जो अब भाजपा की सहयोगी है और एनडीए सरकार की एक महत्वपूर्ण सदस्य है, आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को 4% आरक्षण की घोषणा कर सकती है, तो महाराष्ट्र सरकार को शिक्षा में मुसलमानों को 5% आरक्षण लागू करने से कौन रोक रहा है, जो पहले से ही उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया है. किसी भी बड़ी पार्टी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा। महाराष्ट्र से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। अजीत पवार, शिंदे देवेंद्र से गुज़ारिश करूँगा मुस्लिमों को आरक्षण मिलने की ओर क़दम उठाए नहीं तो सड़कों पर मुसलमानों को उतारना पड़ेगा.”
लोकसभा के ख़राब नतीजों के आँकलन के लिए हालिया पार्टी बैठक में अजीत पवार ख़ुद मान चुके हैं की मुसलमान वोटर उनसे दूर चले गये तो क्या विधानसभा चुनाव से पहले की ये कसरत मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश है?
अजीत पवार गुट एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा, “पहले भी ये मांग रही थी, आज भी है. कम से से कम एजुकेशन में 5 फ़ीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. ये हमारी पार्टी का स्टैंड है”
सामाजिक कार्यकर्ता ज़ायद ख़ान ने कहा, “यहां के मुसलमानों ने एकसाथ आकर महायुति गठबंधन के ख़िलाफ़ वोट दिया, लेकिन आरक्षण पर फ़ैसला हुआ होता तो नतीजे कुछ और होते, आने वाले इलेक्शन पर भी असर पड़ेगा. आरक्षण पर सकारात्मक फ़ैसला हुआ तो ज़रूर मुस्लिम समुदाय एनसीपी शिवसेना जैसे सहयोगियों की तरफ़ हो सकता है”
महायुति में शामिल होने के बाद भी अल्पसंख्यकों के आर्थिक अधिकारों, विश्वास और हितों की रक्षा के लिए अजीत पवार गुट ने कई फ़ैसले लिए और कोशिशें की, जो लोकसभा नतीजों में फेल साबित होती दिखीं. अब मराठा आरक्षण के आंदोलन के बीच एनसीपी की मांग से गठबंधित सरकार की मुश्किलें बढ़ना तय है.