पलायन रोकने के लिए मजदूरों को नकद आर्थिक मदद और मुफ्त अनाज देने की मांग

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से दिल्ली में रोजगार बंद होने और आगे भी काम मिलने की संभावना न होने से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

Delhi Lockdown: दिल्ली में राजमिस्त्री का काम करने वाले मुरली अपने परिवार के साथ आनंद विहार बस टर्मिनल पहुंचे हैं. उत्तर प्रदेश के सीतापुर अपने गांव वापस जाने के लिए पिछले कुछ दिनों से काम मिलना बंद हो गया था और अब लॉकडाउन लगने के बाद काम मिलने की संभावना खत्म हो चुकी है. मुरली ने कहा- भविष्य को लेकर अनिश्चितता है इसलिए मजबूर होकर वापस अपने गांव जा रहे हैं. सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस ने प्रवासी मजदूरों को आर्थिक मदद और खाद्य सामग्री देने की मांग सरकार से की है.

मुरली अकेले नहीं हैं, उनके जैसे सैकड़ों असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले प्रवासी मजदूर बढ़ते कोरोना वायरस संकट से आशंकित और लॉकडाउन लगने से काम ना मिलने पर अपने घर वापस जाने को मजबूर हैं. पिछले एक साल में यह दूसरा मौका है जब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिल्ली से वापस अपने घर लौट रहे हैं. जाहिर है दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का संकट फिर बढ़ रहा है.

देश के सबसे बड़े श्रमिक संगठनों में एक सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस ने लॉकडाउन का संकट झेल रहे मजदूरों के लिए भारत सरकार से राहत पैकेज की मांग की है. इस संगठन के नेशनल सेक्रेटरी स्वदेश देव रॉय ने NDTV से कहा कि "भारत सरकार यह सुनिश्चित करे कि लॉकडाउन की वजह से किसी भी वर्कर की सैलरी ना काटी जाए. इनकम टैक्स के दायरे में ना आने वाले सभी मजदूरों के परिवारों को हर महीने 7500 रूपये की डायरेक्ट कैश सपोर्ट की सुविधा दी जाए. हर पीड़ित मजदूर परिवार को लॉकडाउन और संकट के इस दौर में प्रति व्यक्ति हर महीने 10 किलो अनाज मुहैया कराया जाए."

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उधर श्रम मंत्रालय ने लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू की वजह से संकट में फंसे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को जरूरी मदद मुहैया कराने के लिए 20 कंट्रोल रूम नए सिरे से शुरु किया है. लेबर सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा ने कहा कि हमने मजदूरों की सहायता करने के लिए 20 कंट्रोल रूम फिर से रिएक्टिव किए हैं.  

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जाहिर है पिछले साल की तरह एक बार फिर प्रवासी मजदूर संकट में है और भारत सरकार को उन्हें राहत देने के लिए बड़े स्तर पर जल्दी पहल करनी होगी.

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