दूसरी लहर में डेल्‍टा वेरिएंट ने दिखाया रूप, यह 2020 से ज्यादा चालाक वायरस : स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि उम्र के हिसाब से दोनों कोरोना वेव में कोरोना संक्रमण में ज्यादा बदलाव नही है.

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नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल ने कहा, अनलॉकिंग की प्रक्रिया के दौरान अनुशासन और जिम्‍मेदारी दिखाना जरूरी है
नई दिल्ली:

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट में अपना रूप दिखाया. इसी से मिलता जुलता एक म्यूटेशन डिटेक्ट हुआ है जिसे डेल्टा प्लस कहा गया है. मंत्रालय के अनुसार,  मार्च से यूरोप में यह वेरिएंट दिखा है और फिलहाल चिंता का विषय नहीं है. इसे देश के बाहर पाया गया है. वेरिएंट को लेकर ऐसा कोई तरीका नहीं कि आगे से न आए, रूप न बदले. नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल ने कहा कि कोरोना के केस कम होने के साथ साथ अनलॉकिंग की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है लेकिन अनलॉकिंग की प्रक्रिया के दौरान अनुशासन और जिम्‍मेदारी दिखाना बेहद जरूरी है. डेल्‍टा वेरिएंट का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह ओरिजनल वेरिएंट नहीं है लेकिन यह बेहद संक्रामक (highly transmissible) वायरस है. यह 2020 से ज्यादा चालाक वायरस है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि उम्र के हिसाब से दोनों कोरोना वेव में कोरोना संक्रमण में ज्यादा बदलाव नही है.  21 से 30 उम्र में पहले संक्रमण की दर 21.21% थी जो सेकंड वेव में 22.48% रही. इसी तरह 1 से 10 उम्र के पहले संक्रमण की दर 3.28% थी जो सेकंड वेव में 3.05% रही. एक अन्‍य सवाल के जवाब में उन्‍होंने अब तक 26.05 करोड़ कोरोना टीके लगाए जा चुके हैं. 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों को 4.53 करोड़ डोज लगे हैं. 

गौरतलब है कि पहली बार AEFI कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि एक व्यक्ति की मौत वैक्सीन की वजह से हुई है. 31 मार्च को एक 68 वर्षीय कोविड संक्रमित मरीज की मौत हो गई थी, जिसने कोरोना रोधी टीके की दोनों खुराकें ली थीं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी साफ लिखा गया है कि वैक्सीन की फायदे कहीं ज्यादा हैं. AEFI वह कमेटी है, जो वैक्सीन के बाद होने वाले विपरीत असर की निगरानी करती है. वैक्‍सीन की वजह से एक मौते के मामले को लेकर कमेंट करते हुए वीके पॉल ने जोर देकर कहा कि वैक्‍सीन सुरक्षित है. 26 करोड़ वैक्‍सीनेशन के बीच ऐसा एक ही मामला आया है. हमें इसको इस नजरिये से लेना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्‍या में लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं, इस लिहाज से यह बहुत कम है. उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन को लेकर भ्रम नहीं होना चाहिए. सारी दुनिया वैक्‍सीन का कोरोना के खिलाफ 'हथियार' के तौर पर इस्‍तेमाल कर रही है.

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